मायावती हुईं ‘मुलायम’, मैनपुरी में एसपी संरक्षक के लिए करेंगी चुनाव प्रचार?

लखनऊ
यूपी के चुनावी दंगल में बीजेपी को मात देने के लिए बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती 1995 के गेस्‍ट हाउस कांड को भुलाकर अपने धुर विरोधी और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह के लिए वोट मांगती नजर आ सकती हैं। लोकसभा चुनाव में सूबे में एसपी, बीएसपी और आरएलडी के महागठबंधन को जीत दिलाने के लिए एसपी अध्‍यक्ष अखिलेश यादव और मायावती 12 रैलियां करेंगे।

सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी ने महागठबंधन के चुनाव प्रचार का शेड्यूल तैयार किया है। इस शेड्यूल में रैलियों की संभावित तारीखें और स्‍थान निर्धारित किए गए हैं। बताया जा रहा है कि इस लिस्ट में 19 अप्रैल को मैनपुरी में रैली प्रस्तावित है। इस रैली में मुलायम सिंह यादव के साथ मंच पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी नजर आ सकती हैं।

1993 में भी हुआ था एसपी-बीएसपी गठबंधन
साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने जनता दल से अलग हो कर समाजवादी पार्टी बनाई थी। पार्टी बनाने के बाद बीजेपी का रास्ता रोकने के लिए मुलायम ने 1993 में बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया और सरकार बनाई। हालांकि मायावती इस सरकार में शामिल नहीं हुई थीं। लेकिन, 2 जून 1995 को बीएसपी ने मुलायम सरकार से किनारा करते हुए समर्थन वापसी की घोषणा कर दी और जिससे दोनों दलों का गठबंधन टूट गया। मायावती के समर्थन वापसी के ऐलान के बाद मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई।

जानें, क्‍या है गेस्ट हाउस कांड
इसके बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार को बचाने के लिए विधायकों के जोड़-तोड़ का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन बात न बनती देख समाजवादी पार्टी के नाराज विधायक और कार्यकर्ता मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए। यहां कमरे में बंद बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ कुछ लोगों ने बदसलूकी की। वहीं इस मामले में जो एफआईआर दर्ज कराई गई थी, उसमें कहा गया था कि समाजवादी पार्टी के लोग मायावती को जान से मारना चाहते थे। इस घटना को यूपी की सियासत में गेस्ट हाउस कांड के तौर पर जाना जाता है।

उपचुनाव में जीत ने पिघलाई बर्फ
गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में एसपी प्रत्याशियों को जीत मिली थी और अखिलेश यादव खुद मायावती को इसकी बधाई देने उनके घर गए थे। इसी दिन से इस कांड के कारण दोनों दलों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी थी। इसके बाद मायावती ने भी पिछले साल 23 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गेस्ट हाउस कांड को लेकर अखिलेश यादव का बचाव करते हुए कहा था कि उस वक्त अखिलेश राजनीति में आए भी नहीं थे। बता दें कि दो जून 1995 को लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हुआ था।

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