मायावती पर PM नरेंद्र मोदी का नरम रुख, क्या हैं इसके सियासी मायने?

 
नई दिल्ली    

चुनावी मंचों से महागठबंधन को ठगबंधन के तौर पर प्रचारित करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं. यूपी के प्रतापगढ़ में शनिवार को पीएम मोदी ने चुनावी रैली के मंच से अखिलेश यादव पर गरम दिखे, लेकिन मायावती के लिए नरम रुख अपनाया. पीएम मोदी ने कहा कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर मायावती को धोखा दे रही है, जिसके बाद यूपी की सियासत में पीएम मोदी के इस बयान के मायने निकाले जाने शुरू हो गए हैं.

पीएम मोदी अभी तक उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन को महाठगबंधन के विशेषण से नवाजते आए थे, लेकिन बीते दिन प्रतापगढ़ की रैली में उनके सुर बदले हुए थे. खासकर मायावती को लेकर. पीएम मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए दो धुर विरोधी दल गले मिले. इनकी दोस्ती में तो अब दम नहीं दिख रहा है. यहां पर समाजवादी पार्टी ने बहन जी को ऐसा धोखा दिया है, जो उन्हें समझ में नहीं आ रहा है.

दरअसल, यूपी में कांग्रेस, महागठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ रही है, लेकिन महागठबंधन ने राहुल गांधी के समर्थन में अमेठी से अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. जाहिर है मायावती की इसमें सहमति रही होगी, लेकिन एसपी कार्यकर्ताओं का कांग्रेस के प्रति इतना प्रेम मायावती के गले नहीं उतर रहा होगा. पीएम मोदी ने भी मायावती को उकसाने में कोई नरमी नहीं बरती.

पीएम मोदी ने क्या कहा?

प्रधानमंत्री ने महागठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि अब यह साफ हो चुका है कि सपा ने गठबंधन के बहाने प्रधानमंत्री पद का ख्वाब दिखाकर मायावती का तो चालाकी से फायदा उठा लिया. लेकिन अब बहन जी को समझ आ गया है कि सपा और कांग्रेस ने मिलकर बहुत बड़ा खेल खेला है. वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने कहा कि सपा कांग्रेस के प्रति नरम रुख दिखा रही है, लेकिन बसपा प्रमुख मायावती कांग्रेस पर हमला बोल रही हैं.

प्रतापगढ़ में पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नेता खुशी-खुशी समाजवादी पार्टी की रैलियों में मंच साझा कर रहे हैं. मायावती खुलेआम कांग्रेस की आलोचना करती हैं, कांग्रेस को कोसती हैं.  वहीं समाजवादी पार्टी कांग्रेस पर नरमी दिखाती. पीएम मोदी मायावती को समझा रहे हैं कि वो भले ही उनकी पार्टी से एसपी ने खुला समझौता किया हो, लेकिन एसपी से कांग्रेस का गुप्त समझौता है.

नरम रुख की क्या वजह?

पीएम मोदी मायावती के प्रति इतने उदार क्यों नजर आ रहे हैं. इसका हिंट योगी आदित्यनाथ के इस दावे से मिलता है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हमसे मुकाबला करने उतरे लोगों का साथ सिर्फ 23 मई तक का है. उन्होंने कहा कि 23 मई को बुआ बोलेंगी गुंडों का सरताज है बबुआ और बबुआ बोलेगा भ्रष्टाचार की प्रतिमूर्ति है बुआ.

पीएम मोदी और सीएम योगी के बयानों से लगता है कि बीजेपी को इस बात की पूरी उम्मीद है कि यूपी में महागठबंधन की वजह से उसे जो नुकसान होने वाला है. उसकी भरपाई मायावती से की जा सकती है, यानी बीजेपी की प्लानिंग यूपी में भी बिहार वाले फॉर्मूले को अमल में लाने की है.

वहीं, कांग्रेस की तरफ से भी ऐसे बयान आ चुके हैं जो मायावती और बीजेपी के गठजोड़ का अतीत याद दिलाते हुए भविष्य की संभावनाओं को जनता के बीच रख रहे हैं. पहले चरण के चुनाव में ही बिजनौर लोकसभा सीट से प्रत्याशी और कभी मायावती के राइट हैंड रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मतदान के दिन ही कहा था कि मायावती चुनाव के बाद बीजेपी के साथ चली जाएंगी. 

दूसरी तरफ बीजेपी के सहयोगी दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास अठावले ने तो अभी से ही मायावती को रक्षामंत्री का पद भी ऑफर कर दिया है. रामदास अठावले ने कहा कि मायावती जी मेरे पार्टी में आकर मिल जाएं मैं उन्हें अपने पार्टी का बनाऊंगा राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्र सरकार में दिलाऊंगा रक्षा मंत्री का पद.

नतीजों के बाद की तैयारी!

यानी बीजेपी ने बातों-बातों में मायावती को लुभाने के नुस्खे आजमाने शुरू कर दिए हैं. पीएम मोदी ने मायावती को भड़काने के लिए प्रियंका गांधी के वोटकटवा वाले बयान का भी जिक्र किया. पीए मोदी ने कहा कि जो पार्टी पहले चरण के मतदान से खुद को प्रधानमंत्री पद की दावेदार बता रही है, वो मानने लगी है कि हम यूपी में सिर्फ वोट काटने के लिए लड़ रहे हैं. हम वोटकटुआ हैं.

अब यूपी में पीएम मोदी के विचारों से मायावती प्रभावित होती हैं या नहीं. होती हैं तो कितना होती हैं. ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन सियासत में कुछ भी असंभव नहीं होता. बिहार में आरजेडी-जेडीयू गठबंधन से हारने के बावजूद सरकार बनाकर बीजेपी अपनी इस क्वालिटी का प्रदर्शन कर चुकी है.

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