मानसिक रोगी को होनी थी फांसी, जज ने रुकवाई

इस्लामाबाद 
पाकिस्तान में मानसिक रूप से बीमार एक कैदी खिजार हयात को फांसी से आखिरकार राहत मिल गई है। पूरे पाकिस्तान की इस पर नजर थी क्योंकि उसे मंगलवार को ही फांसी दी जानी थी। दरअसल, पाकिस्तान के चीफ जस्टिस साकिब निसार ने मीडिया की उस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए शनिवार को यह मानवीय फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया था कि जिला एवं सत्र न्यायालय ने 15 जनवरी को हयात को फांसी की सजा देने का ऐलान किया है। बता दें कि पुलिस विभाग में काम करते हुए हयात ने 2003 में एक अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। 

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, उसपर जेल में साथी कैदियों द्वारा कई बार हमले किए गए और जिस कारण वह मानसिक रोगी बन गया। हयात को लाहौर के कोट लखपत जेल में फांसी दी जानी थी। वह करीब 16 साल जेल में बिता चुका है। हयात का 2008 में स्किजोफ्रेनिया बीमारी का इलाज किया गया था। उसकी हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसे बिल्कुल भी याद नहीं है कि वह जेल में कितने सालों से है और उसे किस बात की दवाई दी जाती है। 

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 'मामले को संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस कैदी की सजा पर आगे के आदेश तक रोक लगा दी और अब इस पर 14 जनवरी को सुनवाई होगी।' 2010 में जेल के मेडिकल अधिकारी ने सुझाव दिया था कि हयात को विशेष इलाज की जरूरत है और उसे मनोचिकित्सक के पास भेजा जाना चाहिए। हालांकि, यह कभी हो नहीं पाया। 

हयात की मां और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी। उधर, हयात की मां ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी भेजकर अपील की थी कि वह कोट लखपत जेल में जाकर मानसिक रोग से पीड़ित कैदियों से मिलें और इस बात की जांच करें कि उनके बेटे को किस तरह की दवाइयां दी जा रही हैं। उन्होंने अपील की थी कि हयात के मेडिकल रिकॉर्ड की जांच की जाए ताकि यह पता चल सके कि उसे उचित इलाज क्यों नहीं दिया जा रहा और उसकी हालत दिन-ब-दिन क्यों बिगड़ती जा रही है। 

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