महू फिर बनेगा सियासत का केंद्र , बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे CM सहित 2 लाख लोग

महू 
भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की 129वीं जयंती 14 अप्रैल को है. दलित वोट बैंक को साधने में लगे सियासी दलों के लिए आंबेडकर की जन्मस्थली महू इस दौरान सियासत का केन्द्र बन गई है. जयंती पर महूं में आयोजित समारोह में पहली बार बाबा साहब के पोते यशवंतराव आंबेडकर भी शामिल होंगे. इस कार्यक्रम में सीएम कमलनाथ के साथ कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी शामिल होंगे.

इस बार महू में होने वाला आयोजन पूरी तरह से सरकारी है. हर बार यहां राजनैतिक दल बड़े-बड़े आयोजन कर अपना शक्ति प्रदर्शन करते थे. लेकिन इस बार चुनाव की आचार संहिता के कारण ऐसा नहीं हो पाएगा. प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी नेता आएंगे, उनके साथ आयोजन का मंच साझा नहीं किया जाएगा. वे प्रतिमा पर माल्यार्पण करके रवाना हो जाएंगे.

मध्य प्रदेश सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि आंबेडकर की जन्मस्थली का फाउंडेशन स्टोन ही अर्जुन सिंह ने रखा था. जो भी काम अधूरे पड़े है उनको कांग्रेस सरकार पूरा करेगी. सीएम कमलनाथ खुद महू पहुंचेंगे, नेता भले ही भाषण न दे पाएं लेकिन बाबा साहब को प्रणाम करने तो सभी जाएंगे.

चुनावी माहौल में बाबा साहब की विरासत पर हक जताने के लिए कांग्रेस और बीजेपी में जमकर खींचतान चल रही है. बयानों के तीर दोनों तरफ से चल रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने बाबा साहब का इस्तेमाल सिर्फ दलित वोट बैंक की राजनीति के लिए ही किया. बीजेपी विधायक रमेश मेदौला का कहना है कि कांग्रेस तो आंबेडकर को संसद में भी नहीं पहुंचने देना चाहती थी. बाबा साहेब को हराने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया था. अब वो किस मुंह से आंबेडकर की बात कर रहे हैं. बीजेपी ने आंबेडकर के लिए जो काम किए वो किसी पार्टी ने नहीं किए. आंबेडकर की जन्मस्थली महू में स्मारक बनाने समेत उनके पंचतीर्थ को बीजेपी सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर विकसित किया. जिससे आज वो लाखों लोगो की श्रद्धा का केन्द्र बने हुए हैं.

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