महबूबा बोलीं- कश्मीर में शांति चाहिए तो आतंकियों से करनी होगी बात

श्रीनगर

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से भाजपा पर निशाना साधा है. महबूबा ने कश्मीर में अमन के लिए आतंकवादियों से भी बातचीत करने की पैरवी की है. महबूबा ने जेएनयू प्रकरण पर दाखिल चार्जशीट पर कहा कि ये सिर्फ बीजेपी का खेल है. 2019 के चुनाव के लिए राज्य के लोगों को मोहरा बनाया जा रहा है.

आतंकवादी कश्मीर की मिट्टी के बच्चे

पत्रकारों से मुखातिब होते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ऑपरेशन ऑलआउट को रोककर आतंकवादियों से बात करनी चाहिए. महबूबा ने कहा कि वे हमेशा से कहती रही हैं कि स्थानीय आतंकवादी कश्मीर की मिट्टी के बच्चे हैं. हमारी कोशिश उन्हें बचाने की होनी चाहिए. महबूबा ने कहा कि मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर में सिर्फ हुर्रियत ही नहीं बल्कि जो लड़के बंदूक उठाए हुए हैं, उन्हें भी जोड़ना चाहिए, लेकिन इस वक्त नहीं.

JNU पर चार्जशीट बीजेपी का खेल

जेएनयू मामले में दाखिल चार्जशीट पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2019 का चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ये खेल खेल रही है.

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2014 के चुनाव से पहले इसी तरह कांग्रेस ने अफजल गुरु को फांसी दी थी. कांग्रेस ने सोचा था कि शायद इसी तरह से उनको कामयाबी मिलेगी. आज बीजेपी वही दोहरा रही है. आज उन्होंने कन्हैया, उमर खालिद के अलावा जम्मू-कश्मीर के 7-8 स्टूडेंट्स के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

जम्मू-कश्मीर के लोगों को बना रहे मोहरा

चार्जशीट पर महबूबा ने कहा कि ये बिलकुल गलत है. ऐसा महसूस हो रहा कि 2019 के चुनाव की तैयारी में जम्मू-कश्मीर के लोगों को फिर से मोहरा बनाया जा रहा है. उनको इस्तेमाल किया जा रहा है. वोट की राजनीति हो रही है.

मस्जिद बनी तो मुस्लिमों के लिए अच्छा

राम मंदिर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला के जवाब की प्रतिक्रिया में महबूबा ने कहा कि अगर कोर्ट का फैसला बाबरी मस्जिद के हक में आता है जो कि पहले गिरा दी गई थी, अगर उसे फिर से बनाया जाता है तो ये मुस्लिमों के लिए अच्छा होगा.

करती रही हैं आतंकियों की पैरवी

महबूबा मुफ्ती इससे पहले भी कई बार स्थानीय आतंकवादियों का पक्ष लेते हुए ऑपरेशन ऑलआउट पर सवाल उठाती रही हैं. जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने कई बार आतंकवादियों को मारने का खुलकर विरोध किया था.

बीजेपी के साथ बनाई थी सरकार

महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में अलग विचारधारा होने के बावजूद बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्होंने बीजेपी पर कई आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.

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