मसूद पर बैन को भारत में चुनाव होने तक टालना चाहते थे चीन और पाक

 
नई दिल्ली 

भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने बुधवार को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रमुख मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया. इससे लगभग ढाई महीने पहले उसके आतंकवादी संगठन ने कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमला किया था. इस बीच एक खबर यह भी आ रही है कि चीन और पाकिस्तान मसूद अजहर पर प्रतिबंध के प्रस्ताव को भारत में चुनाव संपन्न होने तक टालना चाहते थे क्योंकि इससे मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फायदा पहुंच सकता है.

इन दोनों देशों को लग रहा था कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम चुनाव में फायदा उठा सकते हैं. इसलिए वह किसी भी हाल में इस प्रस्ताव को पास नहीं होने देना चाहते थे. प्रतिबंध का सिलसिला देखें तो पुलवामा हमले के बाद अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन मसूद अजहर पर बैन का नया प्रस्ताव लेकर संयुक्त राष्ट्र में गए लेकिन चीन ने 13 मार्च को ये कहते हुए नए प्रस्ताव को भी रोक दिया कि इस पर उसे बातचीत के लिए वक्त चाहिए.

इससे भड़के अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी कि अब प्रस्ताव 1267 कमेटी में नहीं, सीधे सुरक्षा परिषद में आएगा. सुरक्षा परिषद में ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो वहां खुली बहस होती है, जबकि 1267 कमेटी में बंद दरवाजे बातचीत होती है. इसकी वजह से आनाकानी के बीच चीन की तरफ से टाइम पास करने वाली लगातार कोशिश की गई.

अमेरिका ने यहां तक कह दिया कि इमरान खान सही बातें तो कर रहे हैं लेकिन सही फैसले भी लेने की जरूरत है. अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तानी सेना को गलती ठीक करने की जरूरत है, जिससे हालात ठीक हों. पाकिस्तान में शरण पा रहे आतंकियों के साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का कनेक्शन है. पाकिस्तानी सेना के जनरलों को सही फैसले और सही कदम उठाने की जरूरत है. अमेरिका ने कहा कि आतंकवाद पर एक्शन लेने की बातों पर पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. शुरुआत में पाकिस्तान कुछ कदम उठाते दिखता है लेकिन फिर से पहले के हालात में पहुंच जाता है.

उधर पाकिस्तान के कहने पर चीन चाहता था कि मई तक का वक्त निकल जाए, जिससे भारतीय चुनाव निकल जाएं. कम से कम 15 मई तक इसे रोकना चाह रहे थे जब तक चुनाव का आखिरी राउंड खत्म होने वाला होता लेकिन अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन ने प्रस्ताव पर चीन को 23 अप्रैल तक फैसला कर लेने का वक्त दिया. फिर 30 अप्रैल की नई तारीख चीन को दी गई, जिसमें आखिरकार 1 मई को चीन को फैसला करना पड़ा. इधर जब जब चीन ने मसूद अजहर पर बैन के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाया तो भारत में विपक्ष ने सरकार को घेरा और उसकी विदेश नीति पर सवाल उठाए लेकिन इस बार जब चीन मजबूर हुआ तो जाहिर सी बात है कि सरकार क्रेडिट लेगी. गुरुवार को इसी पर प्रधानमंत्री ने अपना बयान दिया जिस पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए.

अब पाकिस्तान इस बार क्या पुरानी आदतों को छोड़ेगा और खुद को बदलेगा. इसके बारे में बहुत संदेह हैं लेकिन अबकी बार भारत ने उसकी अच्छी तरह से घेराबंदी की है. इसमें पुलवामा के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक और अब मसूद अजहर पर कूटनीतिक स्ट्राइक जिसमें पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ भारत को पूरी दुनिया को साथ मिला. पाकिस्तान के दोस्त चीन को भी आखिरकार पाकिस्तान का साथ छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. अंतत: संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की लिस्ट में डाल दिया.

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