ममता की बजाय माया को PM पद के लिए तरजीह दे सकती है कांग्रेस

नई दिल्ली
चुनाव प्रचार के दरम्यान कांग्रेस को लेकर बीएसपी चीफ मायावती चाहे जितना आक्रामक रही हों, लेकिन कांग्रेस मायावती से अपने रिश्ते बना कर रखना चाहती है। दरअसल कांग्रेस ने एक तरह से मान लिया है कि प्रधानमंत्री पद की रेस में वह कहीं नहीं है। अब उसे किसी रीजनल पार्टी पर ही दांव लगाना बेहतर लग रहा है। ममता के मुकाबले मायावती को प्रधानमंत्री की रेस में आगे करने से वह दूरगामी नतीजे देख रही है।

अव्वल यही कि इससे देश की कुल आबादी में एक चौथाई हिस्सा रखने वाले दलित समाज के दिल को जीता जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने मायावती को इशारा दे दिया है कि अगर 23 मई को किस भी सूरत में गैर एनडीए सरकार बनने की संभावना दिखती है तो फिर उसकी पसंद वही होंगी। लेकिन इसका साइड इफेक्ट यह हुआ है कि बंगाल वाली दीदी सोनिया गांधी की बुलाई बैठक से गैरहाजिर हो सकती हैं।

उनका कहना है कि काउंटिंग के दिन उनका अपने राज्य में रहना ज्यादा जरूरी है। ‘दीदी’ के मुकाबले ‘बहनजी’ को तरजीह दिए जाने पर इतनी नाराजगी तो बनती ही है। चंद्रबाबू नायडू की कोशिश ममता और मायावती के बीच संतुलन बनाए रखने की है। वैसे माना यह जा रहा है कि अगर टीएमसी की सीटें यूपी के एसपी-बीएसपी गठबंधन से कम आती हैं तो वह मायावती के नाम पर अपना समर्थन दे सकती है।

अमित शाह से टकराव के मुद्दे पर ममता को समर्थन देकर मायावती ने रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश तो की ही है। कांग्रेस आलाकमान से भी देर-सबेर बीएसपी चीफ की मुलाकात हो सकती है। दिल्ली तक पहुंचने के लिए कांग्रेस का समर्थन तो जरूरी ही होगा।

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