मध्य प्रदेश में कांग्रेस के एक प्रत्याशी कबीर भजन गाकर मांग रहे वोट

देवास
देश में अभी लोकसभा चुनाव चल रहा है. प्रत्याशी जनता को अपने से जोड़ने और अपनी बात उनतक पहुंचाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं. इसी तरह का एक तरीका अपनाया है मध्य प्रदेश के देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद टिपानिया ने. प्रहलाद अपने क्षेत्र में कबीर भजन गा कर प्रचार कर रहे हैं. दरअसल, प्रहलाद टिपानिया कबीर भजन गायक हैं. ऐसे में उन्हें इस काम में ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती है. वे अपनी बात आसानी से भजन के माध्यम से लोगों तक पहुंचा देते हैं.

देवास के रहने वाले प्रहलाद टिपानिया प्रख्यात कबीर भजन गायक होने के साथ-साथ विज्ञान के शिक्षक भी हैं. जब वे क्षेत्र में प्रचार के लिए जा रहे हैं तो लग ही नहीं रहा कि वे वोट मांगने आए हैं. उनके मंच को देखकर लगता ही नहीं है कि ये किसी प्रत्याशी या नेता का मंच है. उनके साथ मंच पर साज-बाज वाले ही रहते हैं. टिपाणिया कबीर भजन के माध्यम से ही अपने आप को लोगों के बीच रख रहे हैं. अब ये तो वक्त ही बताएगा कि उनके इस तरीके से लोग कितने प्रभावित हुए.

टिपानिया अंतरराष्ट्रीय कबीर भजन गायक हैं. उन्होंने कबीर के भजनों को गाने की शुरुआत लूणियाखेड़ी गांव (मध्य प्रदेश के देवास में) से ही की. कबीर के भजनों के लिए जाने जाने-वाले प्रहलाद अमेरिका समेत विदेशों में भी शो करते हैं. विदेशों में प्रहलाद टिपानिया के गायन पर मोहित होने वालों की हद यहां तक है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर सारा भारत आकर उनकी शिष्य बनीं. साथ ही अपना नाम बदलकर अंबा सारा रखा. वे कबीर के भजनों का अंग्रेजी में अनुवाद कर रही हैं.

प्रहलाद टिपानिया को 2011 में सरकार ने पद्मश्री से नवाजा था. राजनीति से उनका ज्यादा निकट का नाता नहीं है. हालांकि उनके पिता कांग्रेस से जुड़े रहे हैं. उनके एक भाई जनपद में प्रतिनिधि रह चुके हैं. उनका बेटा विजय कांग्रेस आईटी सेल, तराना ब्लॉक का अध्यक्ष रह चुका है.

प्रहलाद टिपानिया बलई समाज से हैं. देवास लोकसभा क्षेत्र में वे अपने समाज का लोकप्रिय चेहरा हैं. इस क्षेत्र में 3.50 लाख वोटर्स बलई हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां ढाई लाख वोट से हारी थी. लेकिन हाल के विधानसभा चुनाव में 40 हजार वोटों की बढ़त उसे मिली थी.

बता दें, पिछले 30 साल में देवास सीट पर कांग्रेस के सज्जनसिंह वर्मा को सिर्फ एक बार 2009 में जीती मिली थी. तब जीतने वाले सज्जनसिंह वर्मा भी 2014 में मोदी लहर में ढाई लाख से ज्यादा वोटों से हार गए थे.

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