मंत्री ने क्यों महिला कांग्रेस नेत्रियों के साथ फर्श पर बैठकर खिंचवाई फोटो

ग्वालियर
कांग्रेस ने आज अपना 133 वा स्थापना दिवस देशभर में मनाया। ग्वालियर में कांग्रेस कार्यालय पर जिला कांग्रेस कमेटी ने पार्टी कार्यालय पर कार्यक्रम आयोजित किया। लेकिन ये कार्यक्रम विवादों में आ गया। महिलायों के सम्मान की दुहाई देने वाली कांग्रेस अपने ही कार्यक्रम में महिलाओं का सम्मान नहीं कर पाई।

दरअसल माधव राव सिंधिया भवन की छत पर कांग्रेस कमेटी ने कार्यक्रम आयोजित किया । यहाँ वन्देमातरम के बाद जिला अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र शर्मा ने अतिथियों के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, के कामराज, राजीव गांधी और माधव राव सिंधिया की तस्वीर पर मालाएं पहनाई फिर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मख्खन लाल ओझा, पूर्व अध्यक्ष अशोक शर्मा, चंद्रमोहन नागोरी और विधायक मुन्नालाल गोयल को शॉल, श्रीफल और फूल मालाएं पहनाकर स्वागत सम्मान किया वही विधायक गोयल ने जिला अध्यक्ष डॉ शर्मा का स्वागत किया लेकिन किसी ने भी वहां मौजूद महिला अध्यक्ष कमलेश कौरव से ना तो किसी का सम्मान कराया और ना ही उनका सम्मान किया। इस बात से कमलेश कौरव नाराज हो गई और अन्य नेत्रियों के साथ नीचे आ गई। 

उनका अपमान यहीं नहीं थमा। थोड़ी देर बाद कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट कांग्रेस कार्यालय पहुंचे तो कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया। उनके सम्मान में एक सादा कार्यक्रम रखा गया जिसमें मंच पर कुर्सियां लगाई गई। जैसे ही मंत्री जी आये कमलेश कौरव ने अपनी कुर्सी उन्हें दे दी और जैसे ही वो दूसरी कुर्सी की तरफ बढ़ी एक कार्यकर्ता ने उनकी कुर्सी छीन ली। अपना अपमान होते देख महिला अध्यक्ष नीचे फर्श पर आकर बैठ गई। उनके साथ अन्य महिला नेत्रियाँ भी बैठ गई। माजरा समझ मंत्री तुलसी सुलावट ने कमलेश कौरव को मंच पर बुलाया लेकिन वो फर्श पर ही बैठी रही। उसके बाद मंत्री खुद नीचे आकर फर्श पर बैठ गए और महिला नेत्रियों के साथ फोटो खिंचवाई। 

पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए तुलसी सिलावट ने कहा कि विभाग बंटवारे के लिए वरिष्ठ नेतृत्व मंथन चल रहा है जल्दी ही घोषणा हो जाएगी। भाजपा के सवाल खड़ा करने पर मंत्री ने तंज कसा कि हमारी सरकार  अब भाजपा से पूछकर विभागों का बंटवारा करे?

गौरतलब है कि कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट दतिया माँ पीताम्बरा के दर्शन कर ग्वालियर आये थे वे कांग्रेस कार्यालय के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सिंधिया छत्री परिसर गए और वहां उन्होंने माधव राव सिंधिया की मूर्ति पर पुष्प अर्पित किये उसके बाद वे दिल्ली निकल गए।

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