भ्रष्टाचार के आरोपों को RTI से छूट नहीं, CBI अपने स्टाफ को संवेदनशील बनाएं: सीआईसी

 नई दिल्ली
 
सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सीबीआई को मिली छूट के दायरे में भ्रष्टाचार के आरोपों के नहीं आने पर जोर देते हुए केंद्रीय सूचना आयोग ने एजेंसी के निदेशक को सलाह दी कि वह अपने आरटीआई पर विचार करने वाले अधिकारियों को प्रावधान के बारे में संवेदनशील बनाएं। 

सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया जहां खुफिया ब्यूरो को आवेदक को भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। खुफिया ब्यूरो की तरह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो भी उन संगठनों की सूची में शामिल है जिन्हें आरटीआई कानून के तहत छूट मिली हुई है।

हालांकि, इस छूट में एजेंसी के पास उपलब्ध वो दस्तावेज शामिल नहीं हैं जो भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों से जुड़े हैं। वे आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत आते हैं। सिन्हा उस आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे जिसके तहत आरटीआई आवेदन के जरिये जयपुर में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा एलपीजी ड्रिस्ट्रिब्यूटरशिप के आवंटन में कथित अनियमितताओं की उसकी शिकायत की स्थिति की जानकारी मांगी गई थी।

जानकारी देने से इनकार करते हुए सीबीआई ने केंद्र सरकार से उसे मिली छूट का हवाला दिया और कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों को आरटीआई कानून के तहत लाने का प्रावधान सिर्फ उस स्थिति में लागू होता है जब आरोप उसके अधिकारियों पर लगे हों, न कि उसके पास उपलब्ध भ्रष्टाचार के हर मामले में रिकॉर्ड में।

सीबीआई की इस दलील को हालांकि सिन्हा ने खारिज कर दिया। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 23 अगस्त 2017 के एक आदेश का हवाला भी दिया जहां सीबीआई की तरह ही छूट प्राप्त संगठन खुफिया ब्यूरो (आईबी) को भ्रष्टाचार से जुड़े़ मामले में सूचना देने का निर्देश दिया गया था।

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