भाजपा की देरी से दिग्विजय हुए स्ट्रांग, संघ ने संभाला मैदान

भोपाल
भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक अपने सभी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है, खासकर भोपाल लोकसभा सीट पर कसमकस की स्थिति बरकरार है। भाजपा कार्यकर्ता जहां प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं, वहीं संघ ने जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है। संघ के अनुषांगिक संगठन भोपाल संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी चयन में मप्र भाजपा और संघ के बीच मतभेद की स्थिति सामने आ चुकी है। संघ की कोशिश है भोपाल लोकसभा सीट पर हर हाल में जीत दर्ज करना है। इसके लिए संघ मतबूत नेता को प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में है, जबकि भाजपा मौजूदा प्रत्याशी या फिर अन्य किसी नेता को चुनाव मैदान में उतारना चाहता है। जिसको लेकर संघ और भाजपा नेताओं के बीच खीचंतान की स्थिति बन चुकी है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने 24 मार्च को भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है, लेकिन भाजपा 20 दिन बाद भी प्रत्याशी के नाम पर मंथन कर रही है। जिससे कांग्रेस प्रत्याशी लगातार मजबूत हो रहा है, यही वजह है कि संघ की अेार से अपने अनुषांगिक संगठनों को भोपाल लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय कर दिया है। संघ पदाधिकारी ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के बीच भी पहुंच रहे हैं। जबकि शहरी क्षेत्र में व्यापारी, युवा, महिला एवं अन्य वर्गों के बीच पहुंच रहे हैं।

भाजपा नेता नहीं हैं सक्रिय

कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह सघन जनसंपर्क में जुट हैं और कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं, वहीं भाजपा पूरी तरह से निष्क्रिय है। स्थानीय भाजपा का कोई भी पदाधिकारी चुनावी तैयारी की भूमिका में नहीं है। इस संबंध में मप्र भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी ने स्वीकारा कि प्रत्याशी में देरी से पार्टी को नुकसान हो रहा है, लेकिन यह देरी दिल्ली से हो रही है। इस पदाधिकारी ने कहा कि कार्यकर्ताओं के निष्क्रिय होने की वजह प्रत्याशी का चेहरा सामने नहीं आना है। क्योंकि प्रत्याशी का नाम सामने आते ही चुनाव की अगली रणनीति तैयारी बन जाएगी, कार्यकर्ता सक्रिय हो जाएंगे। हालांकि प्रत्याशी तय नहीं होने से कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा है।

चुनाव लड़ने से पीछे हटे दावेदार

जैसे जैसे उम्मीदवार के नाम की घोषणा में देरी होती जा रही है, दावेदार चुनाव लडऩे से पीछे हटते जा रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह तेजी से मजबूत हो रहे हैं। खबर है कि दिग्विजय सिंह के करीबियों ने भाजपा के कुछ नेता और उनके समर्थकों के बीच कमराबंद बैठकें भी हुई हैं। इन बैठकों के अलग-अलग मायने निकाले जाने लगे हैं।

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