बीजेपी ने बदली प्रचार की रणनीति, कार्यकर्ताओं को मिला ये टारगेट

रायपुर 
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में प्रचार की रणनीति बदल दी है. पन्ना प्रभारियों का फार्मूला पिटने के बाद अब कार्यकर्ताओं की नारजगी दूर करने के साथ कांग्रेस की प्रचार रणनीति को पटखनी देने की तैयारी चल रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पास अपने पिछले प्रदर्शन के मुताबिक साख बचाने का मौका है. ऐसे में पार्टी के दिग्गज नेता कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचकर उनकी नारजगी और निराशा दूर करने के साथ उन्हे एक्टिव कर रहे हैं. साथ ही बूथ मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाया जा रहा है.

भारतीय जनता पार्टी 2019 में भी 2014 वाली जीत दोहराना चाहती है. इसलिए पार्टी ने हर बूथ पर 50 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट शेयर का टारगेट रखा गया है. इसलिए बीजेपी अब असंतुष्ट कार्यकर्ताओं पर ज्यादा ध्यान दे रही है. क्योंकि कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले अपने असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को मनाने में कामयाब रही थी और हार का स्वाद चखने के बाद बीजेपी भी ये समझ चुकी है कि कार्यकर्ताओं में जान फूंकना बेहद जरूरी है और इसलिए कांग्रेस की रणनीति के हिसाब से बीजेपी ने भी अपनी प्रचार रणनीति में बदलाव किया है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कार्यकर्ता ही पार्टी की जान हैं. पार्टी तय रणनीति के तहत प्रचार प्रसार कर रही है.

बीजेपी की बदली प्रचार रणनीति को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अमरजीत भगत का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में सत्ता बीजेपी के पास थी और सत्ता के दम पर भीड़ इकट्ठी होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब प्रचार रणनीति बदलने का फायदा भी बीजेपी को नहीं मिलेगा. इधर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता परिवर्तन के साथ पार्टीयों की रणनीति बदलती है. राजनीतिक विश्लेषक रविकांत कौशिक का कहना हैकि कार्यकर्ताओं की अपेक्षा के अनुरूप रणनीति बदलने पर ही परिणाम प्राप्त होते हैं. जिसे लेकर बीजेपी में मंथन जरूरी है.

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