बीजेपी ने एक साल में खोए अपने कई नायाब ‘हीरे’

नई दिल्ली
पिछले एक साल में बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को खो दिया है। अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद बीजेपी ने कई 'हीरे' गंवाए हैं। ये ऐसे नेता रहे हैं जो देश में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी विशेष पहचान रखते थे और जिन्होंने देश के बड़े ओहदों पर रहते हुए खास जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। शनिवार को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का भी निधन हो गया। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि एक साल में हमने कई नेताओं को खो दिया है।

अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 से 16 दिसंबर 2018)

पूर्व प्रधानमंत्री और प्रखर वक्ता के रूप में पूरे विश्व में पहचान बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी साल 2018 में 16 अगस्त को दुनिया छोड़कर चले गए। वाजपेयी लंबे समय से बीमार थे। 2004 में चुनाव हारने के बाद वाजपेयी ने राजनीति से संन्यास ले लिया था और उसके बाद वह कभी भी सार्वजनिक जीवन में नहीं आए।

2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अटल बीजेपी के संस्थापकों में शामिल थे और तीन बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि वह एक बार ही 5 साल का कार्यकाल पूरा कर सके। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

अनंत कुमार (22 जुलाई 1959 से 12 नवंबर 2018)
बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे दिग्गज नेता अनंत कुमार का 12 नवंबर 2018 को 59 वर्ष की आयु में हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। उस दौरान वह मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे। वह इलाज कराने के लिए लंदन और न्यू यॉर्क भी गए थे। 1996 से वह दक्षिणी बेंगलुरु की सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। वह कर्नाटक की बात करने में हमेशा अग्रणी रहते थे।

मनोहर पर्रिकर (13 दिसंबर 1955 से 17 मार्च 2019)
रक्षा मंत्री के रूप में देश की अहम जिम्मेदारी संभालने वाले मनोहर पर्रिकर का 63 वर्ष की आयु में 17 मार्च को निधन हो गया। वह भी लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। खराब स्वास्थ्य के दौरान भी वह गोवा के मुख्यमंत्री थे। उन्हें विशेष मांग पर गोवा का मुख्यमंत्री बनाया गया था। इससे पहले वह केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री थे। उनके इस पद पर रहते हुए ही भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पर्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। रक्षा मंत्री के कार्यकाल के दौरान वह राज्यसभा से सांसद थे।

सुषमा स्वराज(14 फरवरी 1952 से 6 अगस्त 2019)
बीजेपी की दिग्गज वरिष्ठ नेता और प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज का कुछ दिन पहले ही अचानक निधन हो गया। स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ा था। वाजपेयी सरकार में वह सूचना प्रसारण मंत्री थीं और मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने पूरी दुनिया में एक उदाहरण प्रस्तुत किया। मात्र 25 साल की उम्र में वह राजनीति में आ गई थीं।

1977 में वह हरियाणा में पहली बार विधायक बनीं। इसके बाद 1990 में वह राज्यसभा पहुंच गईं। 1996 में वह दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीतीं। वह दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रहीं। 2009 और 2014 में वह मध्य प्रदेश के विदिशा से चुनाव लड़कर राज्यसभा पहुंचीं। 2009 से 2014 तक वह नेता प्रतिपक्ष थीं और अपनी बात दमदार तरीके से रखती रहीं।

अरुण जेटली (28 दिसंबर 1952 से 24 अगस्त 2019)
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 24 अगस्त को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे और कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। पिछले दिनों उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट भी करवाया था। उनका जीवन उपलब्धियों से भरा था और बतौर वित्त मंत्री उन्होंने कई सुधार करते हुए अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दी। 1977 में जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद जेल में इनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेताओं से हुई और उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ। अटल सरकार में वह कानून मंत्री भी रहे।

आपातकाल के दौरान वह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल रहे और 1980 में उन्हें बीजेपी यूथ विंग का कार्यभार दिया गया। जेटली प्रधानमंत्री मोदी के काफी करीब थे। 2009 में राज्यसभा में जेटली नेता विपक्ष बने। सरकार को घेरने में वह कोई कसर नहीं छोड़ते थे। मीडिया से भी रूबरू होने में जेटली कभी पीछे नहीं हटते थे। बीमारी के चलते वह 2019 में अंतरिम बजट पेश नहीं कर सके थे। खराब स्वास्थ्य की वजह से ही उन्होंने नई सरकार में मंत्रिमंडल से बाहर रहने का फैसला किया था।

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