बीजेपी की सहयोगियों पर मजबूत पकड़, पीछे रह गया विपक्ष

 
नई दिल्ली
 
17वीं लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है और इसके बाद सत्ताधारी पार्टी के साथ विपक्ष में भी गहमागहमी तेज हो गई है। एक तरफ विपक्षी पार्टियां एक साथ मिलकर मोदी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना चाहती हैं लेकिन बीजेपी अपनी स्थिति पहले ही मजबूत कर चुकी है। अगर सहयोगी पार्टियों के लिहाज से देखें तो बीजेपी अपनी विरोधी कांग्रेस समेत अन्य सभी दलों से एक कदम आगे है। बीजेपी ने राज्यों में ऐसे दलों को साथ ले लिया है जिनके वोट सीधे सीट में बदल सकते हैं। 
 
एनडीए के कुछ सहयोगियों के साथ बीजेपी के रिश्तों में खटास आई थी लेकिन शीट शेयरिंग के मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सबको संतुष्ट करने का प्रयास किया है। जैसे बिहार में उन्होंने नीतीश कुमार को अपने साथ मजबूती से जोड़े रखा है। 

तमिलनाडु जैसे बड़े राज्य में सत्ताधारी AIADMK को अपने साथ लेकर और छोटी पार्टियों को साथ लाकर बीजेपी ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। जबकि तमिलनाडु में खुद बीजेपी का कोई वर्चस्व नहीं है। बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे प्रदेशों में बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ स्थिति साफ कर चुकी है वहीं कांग्रेस अब भी सहयोग तलाश कर रही है और सीटों का भी कोई स्पष्ट समझौता नहीं हो पाया है। 

मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बीएसपी-एसपी गठबंधन से बाहर है और इसका भी फायदा बीजेपी को मिल सकता है। हालांकि वोट पर्सेंट के मामले में बीजेपी को नुकसान होगा। बीजेपी के सहयोगी अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की बीजेपी के साथ खींचतान चल रही है लेकिन पार्टी नेतृत्व की तरफ से कहा गया है कि दोनों ही दल एनडीए में ही रहेंगे। 

बिहार में महागठबंधन की पार्टियों के बीच में सीटों को लेकर अभी स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई है। इस महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी, कांग्रेस, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और जीतनराम मांझी की HAM शामिल हैं। दूसरी तरफ, एनडीए में नीतीश कुमार और राम विलास पासवान ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वे बिहार में क्रमशः 17 और 6 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। 

2014 में बीजेपी बिहार की 31 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इनमें से उसे 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। तब नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। सबसे बड़ी बात तो यह है कि एनडीए के खिलाफ एकजुट होने वाली पार्टियों का नेता कौन है, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि विपक्ष में ज्यादातर नेता सत्ता के भूखे हैं। 

उन्होंने कहा, 'पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारा अजेंडा क्लियर है और हम विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे।' महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना क्रमशः 25 और 23 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। पहले शिवसेना बीजेपी पर आक्रामक थी लेकिन बाद में उसने भी चुनाव को लेकर समझौता कर लिया। कांग्रेस अब भी साफ नहीं कर पाई है कि एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में चुनाव लड़ेगी या अकेली लड़ेगी। इसी तरह की स्थिति कर्नाटक में जेडी (एस) के साथ भी है। 

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'मंगलवार को होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मीटिंग में गुजरात के बारे में फैसला होगा कि गठबंधन में कौन शामिल होगा।' बता दें कि 543 सीटों पर लोकसभा के चुनाव 7 चरणों में होंगे। पहला चरण 11 अप्रैल और आखिरी चरण 19 मई को होगा और वोटों की गिनती 23 मई को की जाएगी। 

BJP नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, '2014 में हमें बहुमत मिला लेकिन फिर भी हम अपने सहयोगियों का पूरा सम्मान करते हैं। जबकि विपक्ष का गठबंधन अभी भी कमजोर है। इनके नेगेटिव अजेंडा की वजह से गठबंधन मजबूत नहीं है। हमारे गठबंधन का संदेश क्लियर है।' बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट में भी गैरकांग्रेसी दलों को अपने साथ जोड़ रखा है। हालांकि, बीजेपी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गठबंधन स्पष्ट नहीं कर पाई है। हालांकि चुनाव के बाद टीआरएस बीजेपी के साथ आ सकती है। 
 

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