बिहार सरकार के सवर्ण आरक्षण बिल के विरोध में राजद ! विधायक दल की बैठक में होगा फैसला

पटना
बिहार में सवर्णों को बिहार सरकार जल्दी ही आरक्षण देने जा रही है. इसके लिए नीतीश सरकार फरवरी में विधानमंडल सत्र के दौरान विधेयक लाएगी. इसकी सभी प्रक्रियाएं इसी महीने में पूर्ण कर ली जाएगी लेकिन सरकार के इस फैसले को लेकर एक बार फिर से राजनीति शुरू हो गई है.

इस मामसे में राजद ने फिर से गोलमोल जवाब दिया है. पार्टी के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि राजद सवर्ण आरक्षण के विरोध में नहीं है लेकिन सरकार को बिल से पहले आयोग बनाकर राय लेनी चाहिए थी. राजद नेता ने कहा कि सरकार ने ये बिल आनन-फानन में लाया है. इस बिल को लेकर पार्टी का फैसला विधायक दल की बैठक में होगा. बैठक में ही इस बात पर फैसला लिया जाएगा कि बिहार विधानसभा में हमें इस विधेयक पर क्या स्डैंड लेना है. भाई वीरेंद्र ने फिर से कहा कि सरकार सवर्णों को बेवकूफ बना रही है और एक बार फिर से जुमला सुना रही है.

इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि सरकार फरवरी में विधानमंडल सत्र के दौरान विधेयक लाएगी. जाहिर है सरकार के इस विधेयक के कानून बनने के बाद इसके बाद राज्य सरकार की नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू हो जाएगा.

मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महाधिवक्ता ललित किशोर से कानूनी सलाह के बाद अधिकारियों को यह निर्देश जारी किया है. महाधिवक्ता से सलाह के बाद यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार की नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू करने के लिए अलग से अधिनियम बनाना आवश्यक है.

इसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिनियम बनाने के लिए अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन आमिर सुबहानी को निर्देशित किया.आपको बता दें कि सोमवार को आयोजित लोकसंवाद में भी नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में सवर्ण आरक्षण जल्द ही लागू किया जाएगा और इसके लिए लीगल ओपिनियन लिया जा रहा है.

उन्होंने सोमवार को कहा था कि आरक्षण को 50 प्रतिशत से ऊपर ले जाने में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मुश्किल है. अब जब मुख्यमंत्री ने विधेयक लाने का ऐलान कर दिया है तो जाहिर हो गया है कि जल्दी ही बिहार में भी गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा.

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