बनेंगे सीएम या अधूरा रहेगा सपना, दो सीटों से है हेमंत सोरेन की दावेदारी
नई दिल्ली
आदिवासी बाहुल्य राज्य झारखंड के चुनाव नतीजे किसके पक्ष में आएंगे, एकबार फिर कमल खिलेगा या आदिवासी अस्मिता की बुनियाद पर सियासत करने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाला विपक्षी दलों का गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को पटखनी देने में सफल रहेगा, यह कुछ घंटों में स्पष्ट हो जाएगा.
जेएमएम में शिबू सोरेन के उत्तराधिकारी और प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी नजरें टिकी हैं. चुनाव परिणाम से यह तय होगा कि पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनने का सोरेन का सपना पूरा होगा या इसके लिए उनका इंतजार पांच साल और लंबा हो जाएगा. एग्जिट पोल के अनुमान अगर सही हुए तो हेमंत की सीएम के रूप में ताजपोशी लगभग तय है.
अब सवाल यह भी है कि जिन हेमंत के कंधों पर प्रदेश में महागठबंधन को विजयश्री दिलाने की जिम्मेदारी है, वह खुद दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. हेमंत जेएमएम का गढ़ माने जाने वाले संथाल परगना की दुमका विधानसभा सीट के साथ ही बरहेट सीट से भी चुनावी ताल ठोक रहे हैं.
बीजेपी के कब्जे में है दुमका
दुमका विधानसभा सीट से बीजेपी की लुईस मरांडी विधायक हैं. लुईस ने 2014 के चुनाव में हेमंत सोरेन को 5262 वोटों से शिकस्त दी थी. इससे पहले 2005 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार स्टीफन मरांडी ने चुनावी बाजी जीती थी. 2009 में इस सीट से हेमंत विधायक चुने गए, लेकिन 2014 में उन्हें बीजेपी की लुईस मरांडी से मात खानी पड़ी.
बरहेट ने बनाया था नेता प्रतिपक्ष
हेमंत सोरेन ने 2014 के चुनावी रण में भी इन्हीं दोनों सीटों से किस्मत आजमाई थी. एक सीट से हार मिली, लेकिन दूसरी सीट बरहेट के मतदाताओं ने सोरेन को विजयश्री दिलाकर विधानसभा भेजा और सोरेन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने. बीजेपी ने इस बार सोरेन की उन्हीं के गढ़ में तगड़ी घेरेबंदी की और दुमका के साथ ही बरहेट में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया.