फैसले की समीक्षा की मांग, EVM की VVPAT से मिलान की संख्या बढ़ाने के लिए फिर SC में विपक्ष

  नई दिल्ली 
विपक्षी दलों ने मतगणना के वक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) से मिलान किए जाने वाले VVPAT (वोटर वेरीफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों की संख्या बढ़ाने की मांग को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू के नेतृत्व में 21 गैर-एनडीए नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में अपने 8 अप्रैल के आदेश की समीक्षा की मांग की है। कोर्ट ने अपने आदेश में चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह हर विधानसभा क्षेत्र में औचक रूप से एक ईवीएम के VVPAT से मिलान को बढ़ाकर 5 ईवीएम करे।  
 

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला विपक्षी दलों की उस याचिका पर दिया था, जिसमें 50 प्रतिशत ईवीएम की VVPAT से मिलान के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी। अब विपक्षी दलों का कहना है कि ईवीएम और VVPAT के मिलान में होने वाली बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं है और इससे अभी की और 8 अप्रैल के फैसले से पहले की स्थिति में कोई खास फर्क नहीं आया है। 

पिछले साल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार और लोकसभा चुनाव के अबतक हुए 3 चरणों में विपक्षी दलों के बेहतर प्रदर्शन के दावों के बीच इनका यह कदम चौंकाने वाला है। हालांकि, विपक्षी नेता अपने इस अभूतपूर्व मांग का बचाव कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि पहले चरण की वोटिंग में देशभर में तमाम ईवीएम और VVPAT में गड़बड़ी देखी गई है। 
 

सीनियर ऐडवोकेट और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'कुछ मामलों में यह सामने आया है कि वोटरों ने किसी पार्टी को वोट दिया लेकिन ईवीएम में वह किसी अन्य पार्टी के खाते में दिखा रहा था। जिन क्षेत्रों में ईवीएम या VVPATs में खराबी पाई गईं, वहां वोटिंग में देरी हुई। कुछ मामलों में तो यह देर रात के बाद तड़के तक जारी रही।' 

विपक्षी नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से यह स्पष्ट हो गया है कि न सिर्फ राजनीतिक दलों बल्कि देश के समस्त मतदाताओं को संतुष्ट किए जाने की जरूरत है और यह सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है। विपक्षी दलों के मुताबिक, VVPAT से वोटों के मिलान के लिए हर विधानसभा क्षेत्र के एक ईवीएम को महज 5 तक बढ़ाना नाकाफी है। उनका कहना है कि इसे काफी ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है। 

विपक्षी दलों के मुताबिक, 'अभी तक मौजूदा मामले में ईवीएम की विश्वसनीयता मुख्य मुद्दा नहीं है। हालांकि, जिस तरह की घटनाएं सामने आईं उनसे ईवीएम पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।' उनका कहना है कि यही वजह है कि फैसले की समीक्षा की जरूरत है और VVPAT से वोटों के मिलान किए जाने वाले ईवीएम की संख्या आगे और बढ़ाने की जरूरत है। 

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