फेक न्यूज से परेशान चुनाव आयोग ने की शिकायत, वायरल हुई थी लोकसभा इलेक्शन डेट

 
नई दिल्ली 

फेक न्यूज से अब चुनाव आयोग भी परेशान है. हाल में सोशल मीडिया पर एक ऐसी सूची वायरल हुई, जिसमें यह दावा किया गया था कि लोकसभा चुनाव का शेड्यूल लीक हो गया और इसमें राज्यवार ब्योरा भी दिया गया था कि कब, कहां चुनाव है. इस पर सख्त रवैया दिखाते हुए चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज की है. चुनाव आयोग ने पुलिस से ऐसे फेक न्यूज फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.

गौरतलब है कि तीन-चार दिन पहले बहुत से व्हाट्सऐप ग्रुप, फेसबुक सहित सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर यह खबर वायरल हुई थी कि लोकसभा चुनाव का शेड्यूल वायरल हो गया है. इस खबर में हर राज्य के ब्योरे के साथ बताया गया था कि अप्रैल और मई के बीच पूरे देश में चुनाव संपन्न होने हैं. इसमें कहा गया था कि चुनाव की शुरुआत 7 अप्रैल को और होगी और 17 मई को यह संपन्न होगा.

चुनाव आयोग द्वारा फेक न्यूज के खिलाफ कार्रवाई का संभवत: यह पहला वाकया है. चुनाव आयोग ने पुलिस से ऐसे फर्जी मैसेज जारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल एवं टेक्नोलॉजी सेल के स्पेशल कमिश्नर के पास भेजी शिकायत में कहा है, 'उन अज्ञात लोगों और ईकाइयों के खिलाफ तत्काल जरूरी कार्रवाई करने को कहा है जो फेक न्यूज फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं. यह लेटर चुनाव आयोग की तरफ से दिल्ली सीईओ ऑफिस के अधिकारी चरणजीत सिंह की तरफ से भेजा गया है.

गुरुवार को भेजे एक लेटर द्वारा शिकायत में चुनाव आयोग ने कहा है, 'हम आपको अवगत कराना चाहते हैं कि आम चुनाव 2019 के शेड्यूल के बारे में एक फर्जी खबर व्हाट्सऐप, फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रही है. ऐसी फर्जी खबरों के प्रकाशन से जनता के बीच काफी भ्रम पैदा होता है और इससे उपद्रव और शरारत को बढ़ावा मिलता है.'

गौतलब है कि 17वीं लोकसभा के लिए अप्रैल से मई 2019 के बीच आम चुनाव हो सकते हैं. लेकिन चुनाव की तिथि निर्धारित करने का पूरा अधिकार चुनाव आयोग के पास ही होता है. इसकी तैयारी काफी गोपनीय होती है और इसके बारे में पहले किसी को भनक नहीं लग सकती. इसकी घोषणा खुद मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा किया जाता है और डेट की घोषणा के बाद ही अधिसूचना लागू हो जाती है. लोकसभा के 543 सदस्यों का निर्वाचन इस चुनाव के द्वारा होता है.

2 सदस्यों को एंग्लो-भारतीय समुदायों के प्रतिनिधित्व के लिए राष्ट्रपति द्वारा नामांकित किया जाता है. ऐसा तब किया जाता है, जब राष्ट्रपति को लगता है कि उस समुदाय का सदन में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है. स्वतंत्र भारत में पहली बार 1952 में लोकसभा का गठन हुआ.

इस बार पीएम मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन सत्ता में फिर से वापसी के लिए जोरदार कोशिश में लगा है, दूसरी तरफ, तीन राज्यों में जीत से उत्साहित कांग्रेस नई ऊर्जा के साथ चुनाव की तैयारियों में लग गई है. वहीं सपा, बसपा, टीएमसी जैसे क्षेत्रीय दल भी इस बार अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद के साथ नए गठबंधन बनाने की कोशिश में लग गए हैं.

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