प्रियंका को मिला पूर्वांचल, NDA में बढ़ सकता है अनुप्रिया-राजभर का कद

नई दिल्ली    
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हर रोज नए सियासी समीकरण बन रह हैं. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को सूबे के पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपी तो बीजेपी से नाराज चल रहे सहयोगी दलों की अहमियत फिर बढ़ने की उम्मीदें नजर आ रही हैं. योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर काफी समय से नाराज चल रहे हैं. वहीं, अपना दल के सुर भी कुछ दिनों से बदले हुए हैं.

ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अनुप्रिया पटेल की अपना दल ये दोनों पार्टियां पूर्वांचल से आती हैं और इसी इलाके में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपी गई है. इस तरह सूबे के बदलते माहौल में बीजेपी अपने इन दोनों सहयोगी दलों को किसी भी सूरत में अपने से अलग करने का खतरा मोल नहीं लेना चाहती है. भाजपा इन दोनों पार्टियों को लोकसभा चुनाव 2019 तक साधकर रखने की रणनीति पर काम कर रही है.

बीजेपी के साथ ओम प्रकाश राजभर विधानसभा चुनाव 2017 में साथ आए थे. जबकि अपना दल बीजेपी के साथ 2014 के लोकसभा चुनाव में मिलकर लड़ा था और दो सीटें जीतने में कामयाब रहा था. अपना दल का जनाधार जहां कुर्मी समुदाय के बीच है तो वहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की राजभर समुदाय के बीच पकड़ मजबूत है.

ओम प्रकाश राजभर और अपना दल दोनों बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं और मौके की नजाकत को समझते हुए दोनों पार्टियां ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश में हैं. ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के सामने जहां दो से तीन सीटों की डिमांड रख रहे हैं वहीं अपना दल इस बार 5 सीटें मांग रहा है.

सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी को पूर्वांचल की जिम्मेदारी मिलने के बीजेपी अपने समीकरण को फिर से दुरुस्त करने में जुटी है. बीजेपी ने जिस सोशल इंजीनियरिंग के जरिए 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव जीते हैं, उसे किसी भी सूरत में अपने से अलग नहीं रखना चाहती है. बीजेपी कुर्मी और राजभर समुदाय के वोटों को साधे रखने के लिए दोनों पार्टियों को तवज्जो देने पर विचार कर सकती है.

हालांकि बीजेपी अनुप्रिया पटेल के साथ-साथ उनकी मां कृष्णा पटेल की पार्टी के साथ भी मिलाने को लेकर मंथन कर रही है. अनुप्रिया पटेल से अलग होकर कृष्णा पटेल ने नई पार्टी बनाई है. दोनों पार्टियां सोनेलाल पटेल पर अपना दावा कर रही हैं. अपना दल का आधार प्रतापगढ़ और फूलपुर से लेकर मिर्जापुर तक है और यहां के कुर्मी समुदाय के बीच उसकी अच्छी-खासी पकड़ है. सूबे में करीब 5 फीसदी वोट कुर्मी समुदाय के हैं, जो एक दौर में सपा और बसपा दोनों का मजबूत वोटबैंक रहा है.

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