प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को आयोग की चेतावनी, ‘चुनाव सामग्री में भड़काऊ बातें न छापें’

भोपाल
लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने प्रिंटिंग प्रेस संचालकों के लिए आचार संहिता लागू कर दी है। जिसमें तहत निर्देश दिए गए हैं कि धार्मिक भावनाएं भड़काने वाली बातें तथा किसी जाति, संप्रदाय, वर्ग और व्यक्ति के विरूद्ध कोई भी व्यक्तिगत बातें न छापी जायें। राजनैतिक प्रचार-प्रसार के लिये छपने वाले पेम्फलेट, पोस्टर, बैनर के लिये छापने के पहले लिखित में आवेदन लें और प्रिन्टिंग सामग्री पर मुद्रक, प्रकाशक का नाम और संख्या का अनिवार्यता से उल्लेख किया जायें। संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजेश कौल ने प्रिन्टिंग प्रेस संचालकों और मालिकों की बैठक में यह निर्देश दिए। 

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति तब तक निर्वाचन पेम्फलेट, पोस्टर मुद्रण या मुद्रित नहीं करवाएगा, जब-तक प्रकाशक की पहचान, घोषणा तथा उनके द्वारा हस्ताक्षरित हों और जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हो, द्वारा सत्यापित न हो । 

दस्तावेज मुद्रण के बाद उचित समय पर मुद्रित दस्तावेज की एक प्रति घोषणा की एक प्रति के साथ भेजी जाये। यदि राज्य की राजधानी में दस्तावेज मुद्रित हुआ है, तो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी तथा जिले के जिले में मुद्रित हुआ है, तो जिला निर्वाचन अधिकारी को मुद्रित दस्तावेज उपलब्ध कराया जाये। निर्वाचन पेम्फलेट, पोस्टर पर धर्म, वंश, जाति समुदाय, भाषा, विरोधी के चरित्र हनन या उसके संबंध में अपील मुद्रित  न की जाये।

नियमों का उल्लंघन होने पर छ्र: माह का कारावास और 2000 रुपये तक जुर्माना या दोनों से दण्डनीय होगा। प्रिन्टिंग प्रेस को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 क (2)  के तहत मुद्रण सामग्री मुद्रित कर तीन दिवस के अन्दर प्रकाशक को भेजना होगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी या जिला दण्डाधिकारी को, जैसा भी मामला हो, भेजते समय प्रिन्टर द्वारा प्रमाणीकरण किया जायेगा। प्रिन्टर सामग्री मुद्रित करते समय तीन दिवस के अन्दर इसकी चार प्रतियाँ तथा प्रकाशक से प्राप्त घोषणा प्रस्तुत करेगा।
 

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