प्रधानमंत्री किसान योजना लॉन्च, 12 करोड़ किसानों को मिलेगा फायदा

नई दिल्ली 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना को डिजिटली लॉन्च कर दिया। इसके साथ ही किसानों को 2,000 रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई। पहली किस्त के रूप में किसानों को 2,021 करोड़ रुपये जारी की गई है। इस योजना से 12 करोड़ से अधिक किसानों को सालाना 6,000 रुपये की सालाना गारंटीड आय मिलेगी। 

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) केंद्र सरकार की नई स्कीम है। इसकी घोषणा बजट 2019 में की गई थी। इस स्कीम को सभी छोटे और कम जमीन वाले किसान परिवारों की मदद के लिए लॉन्च किया गया है। पीएम किसान स्कीम का उद्देश्य खेती और घरेलू जरूरतों को पूरा करने में वित्तीय मदद देना है। 

उन सभी किसान परिवारों को इस स्कीम का फायदा मिलेगा जिनके पास दो हेक्टेयर तक खेतिहर जमीन है। 1 फरवरी, 2019 तक जिन किसानों के नाम राज्य के लैंड रिकॉर्ड्स में दिखेंगे, उन्हें इस स्कीम का फायदा मिलेगा। सरकारी कर्मचारियों की बात करें तो मल्टी-टास्किंग स्टाफ/क्लास IV/ग्रुप डी कर्मचारी इस स्कीम का फायदा ले पाएंगे। 

इस स्कीम के तहत सरकार 2 हेक्टेयर तक की खेतिहर जमीन वाले 12 करोड़ किसान परिवारों को 6,000 रुपये हर साल देगी। ये पैसे हर चार महीने पर 2,000 रुपये की किश्त में साल में तीन बार दिए जाएंगे। इन पैसों को फायदा पाने वाले किसान के खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिया जाएगा। पहली किस्त की अवधि 12 दिसंबर, 2018 से 31 मार्च, 2019 है। यानी किसानों को इस स्कीम का फायदा मौजूदा वित्तीय तिमाही से ही मिलने लगेगा। 
 
सरकार ने PM-KISAN के लिए एक वेबसाइट pmkisan.nic.in लॉन्च की है। जिन किसानों के पास अपनी जमीन है वे ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर पीएम किसान स्कीम से जुड़ी लेटेस्ट अपडेट पा सकते हैं। पीएम किसान ऑफिशल पोर्टल पर किसानों के नाम अपलोड करने की आखिरी तारीख 25 फरवरी, 2019 है। पीएम किसान योजना 2019 के लिए आवेदन करने के लिए कोई भी सरकारी पहचान पत्र, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डीटेल्स और जमीन का रिकॉर्ड दिखाना होगा। गौर करने वाली बात है कि इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए आधार जरूरी है। 

गौर करने वाली बात है कि इस स्कीम के तहत शहरी और ग्रामीण खेतिहर जमीन में कोई फर्क नहीं है। शहरी और ग्रामीण दोनों ही खेतिहर जमीन इस स्कीम के अंदर कवर होगी। 

तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के किसानों को पीए किसान योजना से दोहरा फायदा होने वाला है क्योंकि वहां की सरकारें पहले से ही इसी तरह की योजनाएं चला रही हैं। ऐसे में केंद्र सरकार से मिलने जा रही सालाना 6 हजार रु. की रकम उनके लिए बोनस के समान हो जाएगी। मसलन, आंध्र प्रदेश अपनी अन्नदाता सुखी भव स्कीम को केंद्र की पीएम किसान योजना के साथ जोड़ने जा रही जिससे वहां के हर किसान को सालाना 10 हजार रुपये मिलेंगे। खास बात यह है कि योजना के लिए 2 हेक्टेयर कृषि भूमि की शर्त भी नहीं है। यानी आंध्र प्रदेश के बड़े किसान भी हर साल 10 हजार रुपये पा सकेंगे। 
 
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कृषि ऋण माफ किया था, इसलिए उसके पास लाभार्थियों के आंकड़े पहले से ही मौजूद थे। इसी वजह से पीएम किसान योजना के लिए किसानों के आंकड़े देने में यह राज्य 71 लाख पंजीकरण के साथ लिस्ट में टॉप पर है। 20 फरवरी तक जुटाए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात से 30 लाख किसान पंजीकरण के साथ सूची में दूसरे स्थान पर है। इसी तरह, महाराष्ट्र से 29 लाख किसानों का पंजीकरण हो चुका है। झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम से भी अच्छी-खासी तादाद में किसान रजिस्टर्ड हो चुके हैं। 

वहीं, कांग्रेस शासित राज्यों में छत्तीसगढ़ से महज 83 किसानों के नाम केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं। इनमें भी सिर्फ एक किसान का रजिस्ट्रेशन ही वैलिडेट किया गया है जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में एक भी किसान का वेरिफाइड डेटा अपलोड नहीं किया गया है। यही हाल तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य पश्चिम बंगाल का भी है। राज्य ने अब तक अपने किसानों की लिस्ट पीएम किसान पोर्टल पर अपलोड नहीं की है। 

कर्नाटक को छोड़ दें तो अन्य दक्षिणी राज्यों ने बड़ी संख्या में आंकड़े अपलोड किए हैं क्योंकि उनके पास पहले से ही जमीनों की विस्तृत जानकारियां हैं। इनमें तमिलनाडु ने 20 लाख, आंध्र प्रदेश ने 22 लाख जबकि तेलंगाना ने 15 लाख 30 हजार किसानों के रजिस्ट्रेशन करवा दिए हैं। 

अधिकारियों ने बताया कि किसानों के खातों में पैसे चेक के माध्यम से डाले जाएंगे। इस काम से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हालांकि 2 करोड़ से ज्यादा पंजीकरण हो चुके हैं, लेकिन 24 फरवरी को इन सबके खाते में पैसे नहीं जाएंगे। हमने अब तक 17 करोड़ 70 लाख डेटा वेरिफिकेशन का काम पूरा कर लिया है जिनमें 55 लाख किसानों को कैश ट्रांसफर किया जा सकता है। इससे पहले इनका पब्लिक फाइनैंशल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) से वेलिडेशन किया जाएगा। सरकार इसी सिस्टम से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के लाभार्थियों के बैंक खातों की जांच करती है।' 

सरकार किसी लाभार्थी के खाते में कैश ट्रांसफर करने से पहले तीन चरणों में जांच करती है। अधिकारी ने बताया, 'राज्यों से डेटा अपलोड होने के बाद केंद्र सरकार पहले चरण में इनका आधार नंबर से मिलान करती है। फिर दूसरे चरण में इनका लाभार्थियों के बैंक खातों से मिलान किया जाता है। आखिरी और तीसरे चरण में ये वेरिफाइड डेटा बैंक को भेजे जाते हैं जिन्हें कैश ट्रांसफर करने से पहले आखिरी बार वेरिफिकेशन कर लेना होता है।' 

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