प्रदेश को “सोलर स्टेट” और भोपाल को “सोलर शहर” की मिली पहचान

भोपाल

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हर्ष यादव ने कहा है कि राज्य सरकार ने अपने पहले साल के कार्यकाल में ही प्रदेश को 'सोलर स्टेट' और भोपाल को 'सोलर सिटी' की पहचान दिलाने में सफलता पाई है। प्रदेश के औद्योगिक प्रक्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग के लिये किये गये नवाचारों की विश्व बैंक ने भी प्रशंसा की है। उन्होंने बताया कि सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश बहुत आगे निकल गया है। एक वर्ष में ही प्रदेश में ग्रिड कनेक्टेड परियोजनाओं में 670 मेगावाट क्षमता की वृद्धि हुई है। प्रदेश में 645 मेगावाट की सौर परियोजनाएँ और 25 मेगावाट की बायोमास परियोजनाएं स्थापित की गईं हैं। यादव ने कहा कि अगले 4 वर्ष में करीब 6 हजार मेगावाट क्षमता की नवीन और नवकरणीय ऊर्जा आधारित परियोजनाएं क्रियान्वित की जाएंगी। आगर-मालवा, शाजापुर और नीमच जिलों में 1500 मेगावाट की सोलर परियोजनाएँ भी शुरू होंगी। इसके लिये भूमि आवंटन कर दिया गया है।

प्रदेश में सौर ऊर्जा, सोलर पम्प स्थापना, पॉवर स्टोरेज, ई-व्हीकल उपयोग, पवन ऊर्जा और फ्लोटिंग पावर प्लांट स्थापना के क्षेत्र में किये गये कार्यों की जानकारी देते हुए मंत्री हर्ष यादव ने बताया कि रीवा परियोजना से अब पूर्ण क्षमता 750 मेगावाट विद्युत उत्पादन प्राप्त हो रहा है। इसमें से प्रतिदिन लगभग 100 मेगावाट बिजली दिल्ली मेट्रो को दी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2.97 रूपये प्रति यूनिट की मितव्ययी दर से बिजली प्रदान की जा रही है। प्रदेश के बुन्देलखण्ड और चम्बल अंचल में बंजर भूमि पर सोलर पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर जलाशयों में एक हजार मेगावाट क्षमता के फ्लोटिंग सौर संयंत्र विकसित करने की कार्यवाही शुरू हो गई है। इस क्षमता के तैरते हुए संयंत्र स्थापित करने की यह देश में अनूठी पहल है।

मंत्री हर्ष यादव ने बताया कि प्रदेश में 8.5 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएँ सफल सिद्ध हुई हैं। इसके अलावा 43 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं आकार ले रही हैं। अगले चार वर्ष में लगभग 500 मेगावाट की सोलर रूफ टॉप परियोजनाएं काम करना शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि भोपाल नगर में बड़ी झील के पास ब्रिज और रिटेनिंग वॉल पर 500 किलोवाट क्षमता के सौर संयत्र की स्थापना की गई है। संयंत्र के नजदीक करबला पम्प हाउस का संचालन सौर ऊर्जा से हो रहा है। इससे सालाना 40 लाख रूपये की बचत और लगभग 10 हजार वृक्षों के बराबर पर्यावरण संरक्षण संभव हुआ है। उज्जैन के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में भी सौर संयंत्र स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालयीन भवनों, मेडिकल कॉलेजों और स्टेडियम तथा विभिन्न संस्थानों में सौर संयंत्र संचालित हैं। मण्डीदीप में करीब 600 उद्योगों का सर्वे किया गया है और विभिन्न ईकाइयों द्वारा 28 मेगावाट क्षमता का उत्पादन रेस्को मॉडल पर हो रहा है। पीलूखेड़ी और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्रों में भी सोलर रूफटॉप परियोजनाओं के लिये उद्यमी आकर्षित हो रहे हैं।

रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस (रेस्को) मॉडल पर कार्य प्रारंभ

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने रेस्को (रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कम्पनी) मॉडल में कार्य प्रारंभ किया है। परियोजना में देश में सबसे कम 1.38 रूपये यूनिट की दर की बिजली की उपलब्धता की भी सराहना हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2 लाख सोलर पम्प लगाए जाएंगे। अब तक 18 हजार सोलर पम्प लगाए जा चुके हैं। इस वर्ष 25 हजार सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि सोलर पम्प उपभोक्ताओं की शिकायतों को हल करने के लिये टोल फ्री कॉल सेंटर जल्द ही शुरू किये जा रहे हैं।

विनोबा भावे अंतर्राष्ट्रीय सोलर पम्प पुरस्कार

मध्यप्रदेश सरकार ने विनोबा भावे अंतर्राष्ट्रीय सोलर पम्प पुरस्कार स्थापित किया है, जो इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले देश को इंटरनेशनल सोलर अलाइंस के माध्यम से दिया जायेगा। प्रदेश में ई-व्हीकल के उपयोग को बढ़ाने के लिये सोलर चार्जिंग स्टेशन स्थापित होंगे। मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के मुख्यालय में चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की जा चुकी है।

रेशम उत्पादन से जुड़े 10 हजार परिवार

मंत्री हर्ष यादव ने अपने प्रभार के कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग की गतिवधियों की जानकारी देते हुए कहा कि बंगलुरू, बनारस, कलकत्ता, हैदराबाद, नासिक और भागलपुर से रेशम धागा और अन्य सामग्री खरीदने के लिये आने वाले व्यापारियों की सुविधा के लिये होशंगाबाद के समीप मालीखेड़ी में इस वर्ष से केन्द्रीय भंडार शुरू किया गया है। अब प्रदेश के 8 ककून बैंक और 5 यार्न बैंक की सामग्री एक स्थान पर उपलब्ध हो गई है। उन्होंने बताया कि 10 हजार से अधिक परिवार को रेशम उत्पादन के क्षेत्र में स्थापित कराया गया है।

ई-रेशम पोर्टल पर पंजीयन सुविधा

किसानों को रेशम उत्पादन से जोड़ने के लिये ई-रेशम पोर्टल पर पंजीयन की सुविधा प्रदान की गई है। इस पोर्टल पर किसान 20 दिसम्बर तक पंजीयन करवा सकते हैं। यादव ने कहा कि छिन्दवाड़ा और सागर में रेशम कार्यालय शुरू किये गये हैं। छिन्दवाड़ा, इंदौर, नरसिंहपुर और बैतूल जिले में रेशम धागाकरण की इकाइयों के लिये 4 नई रीलिंग मशीन लगाने की कार्यवाही शुरू की गई है।

उपभोक्ताओं के लिये अमेजन पर मृगनयनी

नवाचार के अन्तर्गत उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिये मृगनयनी की वेबसाइट के साथ ही अमेजन के माध्यम से उपभोक्ता सुविधा प्रारंभ की गई है। मृगनयनी उत्पादों के विक्रय के लिये एफ.एम. रेडियो और सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है। भोपाल के गौहर महल के साथ ही अर्बन हाट इंदौर और शिल्प बाजार ग्वालियर में भी सकारात्मक गतिविधियाँ प्रारंभ की गईं हैं। पहली बार जबलपुर में नेशनल हैण्डलूम एक्सपो लगाया जा रहा है।

राष्ट्रीय फैशन संस्थान के विद्यार्थियों के लिये राष्ट्रीय योजना

मृगनयनी एम्पोरियम से राष्ट्रीय फैशन संस्थान के विद्यार्थियों को जोड़ने के लिये उनकी डिजाइन स्वीकृत होने पर उन्हें रायल्टी देने की योजना शुरू की गई है। लंदन में अप्रैल 2020 में मृगनयनी प्रदर्शनी लगाने का निर्णय लिया गया है। मृगनयनी ने पहली बार उच्च श्रेणी और गुणवत्ता के वैवाहिक वस्त्रों के उत्पादन और विपणन के लिये चन्देरी और महेश्वर के बुनकरों को प्रोत्साहित किया है। इस वर्ष हैदराबाद (आन्धप्रदेश) केवडिया (गुजरात) और रायपुर (छत्तीसगढ़) में मृगनयनी केन्द्र खोलने का निर्णय लिया गया है। सागर और छिन्दवाड़ा में नये मृगनयनी शोरूम शुरू करने की कार्यवाही अंतिम चरण में है। होशंगाबाद और बैतूल में इसी वर्ष मृगनयनी के विक्रय केन्द्र शुरू कर दिये गये हैं।

मंत्री यादव ने बताया कि इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर निर्णय लिया गया है कि खादी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये 7 एम्पोरियम पी.पी.पी. मोड पर संचालित किये जायेंगे। माटी कला शिल्पियों को प्रोत्साहित करने के लिये पुरस्कार योजना की राशि भी दोगुनी कर दी गई है।

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