पेयजल आपूर्ति योजना के पूरे होने की उम्मीद कम, टैंकरों के भरोसे गुजारनी होगी गर्मी

रायपुर 
छत्तीसगढ़ में हर साल की तरह इस बार भी रायपुर की जनता इसी तरह टैंकरों के पीछे भागती नज़र आ रही है. नगर निगम के तमाम दावों के बावजूद इस बार भी एक-एक बूंद पानी के लिए लोग जद्दोजहद करते नज़र आ रहे हैं. अभी तो सिर्फ गर्मी की शुरूआत ही हुई है आने वाले दिनों में एक-एक बूंद पानी के लिए हाहाकार मचेगा. क्योंकि पेयजल आपूर्ती के लिए बिछाई जाने वाली डिस्ट्रीब्यूशन लाइन पिछले 6 साल से अधूरी है. ऐसे क्षेत्र जहां गर्मियों में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत होती है. वहां तक पाइप लाइन पहुंची ही नहीं है.

रायपुर की जनता को 50 सालों तक पीने के पानी के लिए भटकना ना पड़े, इस मक्सद से साल 2007 में में 303 करोड़ की लागत से 17 पानी टंकियों का निर्माण शुरू किया था जिन्हे पाइप लाइन से जोड़ने की योजना थी. साल 2010 तक पानी की टंकिया तैयार कर ली गयी. 150 एमएलडी का फिल्टर प्लांट भी बन गया. लेकिन इन टंकियों से डिस्ट्रीब्यूशन लाइन बिछाने की प्रक्रिया साल 2012 से चल रही है जो अब तक पूरी नहीं हुई है.

हर साल लोगों को ये आस होती है कि शायद इस बार उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन इस बार ऐसे आसार ही दिखायी नहीं दे रहे कि गर्मी से पहले काम पूरा होगा. निगम उपनेता प्रतिपक्ष रमेश सिंह ठाकुर का कहना है कि पिछले 4 सालों में महापौर प्रमोद दूबे कोई पानी की समस्या को लेकर कोई ठोस योजना लेकर नहीं आ पाए. वहीं महापौर प्रमोद दूबे की दलील है कि पिछले साल शहर में 15 से 20 हजार मीटर की पाइप लाइन बिछाई गयी और आचार संहिता की वजह से काम रूका जो अब फिर शुरू हुआ है.

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