पेंशन कोई दान नहीं, रिटायर्ड कर्मचारियों का अधिकार है

रांची 
झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को एक मामले में सरकारी कर्मचारी को 10 साल से पेंशन का लाभ नहीं दिए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि पेंशन कोई दान नहीं बल्कि रिटायर्ड कर्मचारियों का अधिकार है। इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।  

न्यायमूर्ति आनंद सेन की पीठ ने एक मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी की, 'पेंशन रिटायर्ड कर्मचारियों का अधिकार है, न कि कोई दान है।' कोर्ट ने झारखंड सरकार से कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कर्मचारियों को रिटायर होते ही सभी तरह के लाभ और पेंशन की सुविधा मिल जाए। 

सचिव से पूछा, पेंशन मिलने में क्‍यों होती है देर 
सोमवार को हाईकोर्ट में ब्रजकिशोर तिवारी की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार भी उपस्थित थे। कोर्ट ने सचिव से पूछा कि रिटायरमेंट के बाद पेंशन देने में इतनी देर क्यों होती है? क्या इसके लिए जिलास्तर पर पेंशन सेल बनाया गया है? इस पर सचिव ने कहा कि अभी तक जिलास्तर पर पेंशन सेल नहीं बना है। इसके लिए कोशिश की जाएगी। इस दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में कुछ त्रुटियां है। वादी के सेवाकाल का विवरण प्राप्त नहीं है, जिसकी वजह से सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान संभव नहीं हो पा रहा। 

जेई पद से 2007 में रिटायर हुए थे तिवारी 
जानकारी के मुताबिक, ब्रज किशोर तिवारी पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव बीडीओ कार्यालय से जूनियर इंजीनियर (जेई) पद से 31 मार्च, 2007 को रिटायर हुए। 10 साल तक पेंशन लाभ न मिलने पर उन्‍होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को तलब किया था। 

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