पूर्व आईएएस को नियुक्ति देने के लिए कमलनाथ सरकार ने बदले नियम, RTI में खुलासा

भोपाल
पूर्व आईएएस को अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ गुड गवर्नेंस एंड पॉलिसी एनालिसिस के प्रमुख बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने नियुक्ति के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। यह खुलासा आरटीआई में हुआ है। दरअसल, राज्य सरकार ने पूर्व आईएएस आर परशुराम को यहां के प्रमुख बनाया है।  आमतौर पर तीन साल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक सुशासन स्कूल के महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया जाता है, लेकिन परशुराम को इस पद पर नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार ने उम्र का प्रावधान ही हटा दिया। 

दरअसल, 1978 बैच के पूर्व आईएएस आर परशुराम को 30 अप्रैल  2012 में प्रदेश का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 31 मार्च 2013 तक का था लेकिन बाद में उसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। प्रमुख सचिव के पद से रिटायर्ड होने के बाद एक अक्टूबर 2013 को उन्हें राज्य चुनाव आयुक्त बनाया गया था। यह एक संवेधानिक पद है। उस समय उनकी उम्र 60 वर्ष थी। और उनका कार्यकाल छह साल या फिर 66 वर्ष की आयु तक के लिए था। 

दिलचस्प बात यह है कि 26 दिसंबर, 2018 को, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक बर्णवाल ने परशुराम को पत्र लिख कर गुड गवर्नेंस स्कूल के प्रमुख बनने के लिए मंज़ूरी मांगी थी। जिसके जवाब में परसुराम से उसी दिन मुख्यमंत्री कमलनाथ और पीएस को इस पद के लिए अपनी स्वीकृति दे दी थी। परशुराम ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा थआ कि, आपके नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ है। अगर मुझे अटल बिहारी वाजपेयी संस्थान के प्रमुख बनने का मौका दिया जाता है तो मैं पूरी निष्ठा के साथ इस पद पर काम करूंगा। उसी दिन उन्होंने प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को अपने पद से निजी कारणों से इसंतीफा सौंप दिया था। परशुराम ने इस साल 1 जनवरी से अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ गुड गवर्नेंस एंड पॉलिसी एनालिसिस के महानिदेशक के रूप में कार्यभार संभाला।

जो दस्तावेज आरटीआई में सामने आए हैं उनके मुताबिक परशुराम को गुड गवर्नेंस का प्रमुख नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव कर दिया। परशुराम की आयु अब 66 वर्ष है। जबकि नियमों के मुताबिक गुड गवर्नेंस के प्रमुख बनने के लिए 65 आयु अधिकतम ही थी। एक व्यक्ति को आमतौर पर तीन साल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक सुशासन स्कूल के महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया जाता है, आधिकारिक आदेश के अनुसार जिसकी एक प्रति अजय दुबे द्वारा दायर आरटीआई क्वेरी के जवाब में प्राप्त हुई थी। यही नहीं राज्य सरकार ने पूर्व प्रमुख सचिव बीपी सिंह को चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति रिटायर्ड होने के चार दिन पहले ही कर दी गई थी। दुबे ने कहा है कि इस तरह की नियुक्ति से साफ पता चलता है कि संवैधानिक पदों पर नियुक्ति भी राजनीति से प्रभावित होती है।  उन्होंने कहा कि वह इन नियुक्तियोंं को वह कोर्ट में चुनौती देंगे। 

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