नतीजों से पहले ही बागियों की बलि, योगी ने मंत्री को किया बर्खास्त, बेटे पर गाज

लखनऊ
यूपी में बीजेपी के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर को पद से बर्खास्त कर दिया गया है। राज्यपाल राम नाईक ने सीएम योगी आदित्यनाथ की राजभर को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त करने की सिफारिश मंजूर कर दी है। इससे पहले ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के अन्य सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य हैं, सभी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। ओमप्रकाश राजभर ने भी इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह सीएम के फैसले का स्वागत करते हैं। गरीबों के साथ अन्याय हो रहा है।

राजभर को अपने बयान पड़े भारी
काफी समय से राजभर अपने विवादस्पद बयानों और हरकतों को लेकर योगी सरकार के लिए लगातार मुसीबत बने हुए थे। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ को उन्हें पद से हटाने के लिए राज्यपाल की मदद लेनी पड़ी। सीएम ऑफिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर सोमवार सुबह ट्वीट किया गया था, 'योगी आदित्यनाथ ने महामहिम राज्यपाल को पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की सिफारिश की।' इसके बाद राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी।

हालांकि इस पर ओमप्रकाश राजभर का कहना है, 'मैंने तो पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया था, अब उनका जो मन हो वह करें। वह कह रहे थे कि हम उनकी पार्टी से चुनाव लड़ें, ऐसा करने पर तो हमारी पार्टी का अस्तित्व खत्म हो जाता। जिस विचार को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं, वह खत्म हो जाता।'

अनिल राजभर का ढ़ाया जा सकता है कद
सरकार के सूत्रों की मानें तो इस हफ्ते कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर का इस्तीफा लिया जा सकता है। साथ ही उनके बेटे अरविंद राजभर से दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री का पद भी छीना जा सकता है। साथ ही डैमेज कंट्रोल के तहत राज्यमंत्री अनिल राजभर का कद बढ़ाया भी जा सकता है।

वार पर वार, सरकार पर उठ रहे सवाल
दरअसल ओमप्रकाश राजभर बीजेपी के सत्ता संभालने के बाद से ही उनके लिए मुसीबत बने हुए हैं। कभी अफसरों द्वारा सिफारिशें न सुनने पर उन्होंने हंगामा किया तो कभी बेटों को पद दिलाने के लिए इस्तीफा देने पर अड़े। बीजेपी सरकार लगातार उनके बयानों और इस्तीफों को नजरअंदाज करती रही। यूपी में राज्यसभा चुनावों को लेकर होने वाले मतदान और लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी के शीर्षस्थ नेताओं की तरफ से ओमप्रकाश राजभर को समझाने और मनाने का दौर चला।

घोसी समेत दो लोकसभा सीट मांग रहे थे राजभर
लोकसभा चुनावों के दौरान ओम प्रकाश ने सीटों की मांग को लेकर सारी हदें पार कर दीं। ओमप्रकाश बीजेपी से घोसी समेत दो लोकसभा सीट का टिकट अपने दल के लिए मांग रहे थे। बीजेपी उन्हें घोसी से टिकट देने के लिए राजी हो गई लेकिन अपने सिंबल पर लड़ने की शर्त रख दी। इसके लिए ओमप्रकाश राजभर राजी न हुए। इस बात से नाराज राजभर एक दिन देर रात सीएम योगी आदित्यनाथ के यहां इस्तीफा देने पहुंच गए, लेकिन उस वक्त उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ।

इसके बाद एसबीएसपी ने बीजेपी के खिलाफ 39 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी। मऊ में एक सभा के दौरान ओमप्रकाश पर बीजेपी नेताओं को गालियां देने और जूते मारने का आरोप लगाया। इसके बाद उन पर कार्रवाई तय मानी जा रही थी। उनके खिलाफ मऊ में मुकदमा भी दर्ज हो गया। सातवें चरण के मतदान के दौरान उन्होंने मीडिया को बीजेपी का सूपड़ा साफ होने और एसपी-बीएसपी गठबंधन के जीतने का बयान दिया।

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