दीवारों पर पीक और चारों तरफ गंदगी, कुछ ऐसा था निजामुद्दीन का मरकज
नई दिल्ली
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज की दो दिन चली सफाई के बाद अब पूरे इलाके को सैनेटाइज कर दिया गया है। दक्षिणी दिल्ली नगर नगम के डीएचओ डॉ. विवेकानंद भगत के नेतृत्व में कर्मचारियों ने मरकज में दो दिन लगातार छह-छह घंटे सफाई की है, तब जाकर वहां सैनेटाजेशन और सफाई हो पाई है। निगम कर्मचारियों ने बताया कि मरकज में बहुत गंदगी फैली हुई थी। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि कम जगह में ज्यादा लोगों के रुकने का इंतजाम करने के चलते यहां भयंकर गंदगी फैली थी।
आधुनिक मशीनों से चलाया अभियान
मरकज में बेसमेंट व ऊपरी मंजिलों को मिलाकर कुल नौ मंजिला इमारत को सैनिटाइज करने में चार कर्मचारियों को छह घंटे से अधिक समय लग गया। निगम सूत्र ने बताया कि मरकज में इतनी दुर्गंध आ रही थी कि वहां पर एक-एक पल रुकना भारी पड़ रहा था। सैनिटाइजेशन के लिए पहुंचे कर्मचारियों को सफाई के लिए अत्याआधुनिक मशीनों और केमिकल का इस्तेमाल करना पड़ा। कर्मचारी ने बताया कि मरकज में बने शौचालय इतने छोटे-छोटे थे कि उसमें बमुश्किल एक आदमी ही खड़ा हो पाता। लेकिन बताया जा रहा है कि पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के तलाशी अभियान के दौरान इनमें दो-दो, तीन-तीन लोग छुपे हुए थे। इन शौचालयों से इतनी दुर्गंध आ रही थी जैसे कि कई माह से इनकी सफाई ही न हुई हो। चार कर्मचारियों को यह भवन सैनिटाइज करने में छह घंटे से ज्यादा लग गया। जबकि कर्मचारियों के पास आधुनिकतम मशीनें मौजूद थी, जो तीन-चार मिनट में 10 लीटर घोल को फॉग के रूप में स्प्रे करती थी। यह 15 मीटर की रेंज तक फॉग का स्प्रे कर सकती है।
दीवारों व गमलों पर थे थूक के निशान
कर्मचारी ने बताया कि बिल्डिंग में बहुत छोटे-छोटे कमरे थे। उनमें जमीन पर प्लास्टिक की चटाइयां बिछी हुई थीं। छोटी-छोटी चटाइयों पर चार-चार तकिए लगे थे जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये एक-एक कमरे में ही कई-कई लोग सोते थे। इस दौरान शारीरिक दूरी का भी पालन नहीं किया जा रहा था। बिल्डिंग की पहली मंजिल के हॉल में चोरों ओर वुजू करने के लिए कई दर्जन नल लगे हुए हैं। वहीं, हॉल के बीच में करीब दो फुट गहरी दो हौदिया बनी हुई हैं। इसके पानी में बड़ी-बड़ी मछलियां भी पाली हुई थीं। फिलहाल तो निगम के कर्मचारियों ने इस पानी को नहीं निकाला है क्योंकि इससे मछलियों के मरने का खतरा था। निगम सूत्र ने बताया कि बिल्डिंग में हर ओर दीवारों, दरवाजों, सीढिंयों की रेलिंग व ड्रमों को काटकर बनाए गए गमलों, बैठने वाले सीमेंटेड मूढों पर थूक के निशान थे। जिन्हें साफ करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
हजारों लोगों के लिए मौजूद थी सुविधाएं
मरकज की रैक में करीब चार हजार जूते-चप्पल रखे हुए थे। इससे अधिकारी आशंका जता रहे हैं कि यहां पर बाहर से आने वाले हजारों लोगों के लिए रहने व कपड़े आदि का कितना पुख्ता इंतजाम किया गया है। गंदे कपड़े, चादरें व तकिया, अलग-अलग भाषाओं में तमाम किताबें कागजात आदि बिखरे पड़े थे।
निजामुद्दीन मरकज बिल्डिंग और आस-पास के इलाकों में ड्रोनों की मदद से सेनिटाइजेशन
दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने हजरत निजामुदद्ीन स्थित मकरज बिल्डिंग में कोरोना से संक्रमित लोगों के जाने के बाद बृहस्पतिवार को आस-पास के इलाकों में दो ड्रोन की मदद से सेनिटाइजेशन किया गया तो वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने भी पहाड़गंज और रैगरपुरा क्षेत्र की संकरी गलियों में ड्रोन से छिड़काव किया। पहाड़गंज में संकरी गलियों के कारण मकानों की छत से ड्रोन उड़ाने पड़े।