दिल्ली-एनसीआर में लापता हुए 1589 कोरोना संक्रमितों ने मुसीबत बढ़ाई

 नई दिल्ली  
दिल्ली-एनसीआर में जहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वहीं, 1589 गायब कोरोना पॉजिटिव मरीजों ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। स्वास्थ्य विभाग को ये गायब मरीज खोजे नहीं मिल रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन मरीजों ने जांच के दौरान गलत मोबाइल नंबर और पता लिखवाया था। हालांकि कुछ को खोज लिया गया है। नहीं तो यह संख्या और ज्यादा होती।

फरीदाबाद से सबसे ज्यादा गायब :
 गायब मरीजों में दिल्ली के 180, नोएडा के 19, गाजियाबाद के 124, गुरुग्राम के 266 और फरीदाबाद एक हजार लोग शामिल हैं। जांच में सामने आया है कि नमूने देने के दौरान इन लोगों ने मोबाइल नंबर और घर का पता गलत दिया था। 

दिल्ली में ज्यादातर मामले शुरुआत के :
दिल्ली के मध्य जिला की चिकित्साधिकारी ने बताया कि सैंपल लेने से पहले आईसीएमआर एप पर मरीज की पूरी जानकारी को अपलोड किया जाता है। फिर मोबाइल नंबर के रजिस्ट्रेशन के बाद ओटीपी जनरेट होता है। ओटीपी डालने के बाद ही सैंपल लिया जाता है। उनके मुताबिक जो लोग गायब हैं उनमें ज्यादातर लोगों ने निजी लैब से जांच कराई थी। ये सभी शुरुआती समय के हैं।

पुलिस की मदद से तलाश की जा रही :
कोरोना जांच में पॉजिटिव पाए गए इन गायब मरीजों की तलाश में स्वास्थ्य विभाग पुलिस की भी मदद ले रहा है। गाजियाबाद जिले में पिछले माह के पहले सप्ताह तक ऐसे मरीजों की संख्या 53 थी, 21 जून तक 107 संक्रमित लापता थे। वहीं 26 जून को है संख्या 189 पहुंच गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताया गया कि इसमें 65 मरीजों को खोज लिया गया है और उन्हें गृह जनपद में भर्ती करा दिया गया है। वहीं प्रशासन की ओर से लापता हुए संक्रमितों की खोज के लिए तीन अलग-अलग टीम बनाई गई है। वहीं, फरीदाबाद में ऐसे मरीजों को खोजने की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंप दी गई है। उन्हें स्वास्थ्य विभाग की ओर से डाटा मुहैया करा दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों के अभाव में दिक्कत आ रही थी। 

अब पहचान पत्र लेने के बाद होगी जांच : 
फरीदाबाद के सिविल सर्जन डॉ. रणदीप सिंह पूनिया ने कहा कि अब अधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और अवासीय प्रमाण पत्र दिखाने के बाद ही कोरोना के नमूने लिए जाएंगे। इस संबंध दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कुछ लोग गलत नाम पता लिखवाकर जांच करा लेते है। उनकी जांच रिपोर्ट संक्रमित आने के बाद उन्हें खोजना मुश्किल हो जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए कोई भी पहचान पत्र लेने का निर्णय लिया गया है।

कारण:
1. मरीजों द्वारा दिया गया मोबाइल नंबर और पता गलत निकला
2. जिन्होंने सही नंबर दिया उनके फोन भी काफी दिनों तक बंद रहे
3. आधार कार्ड पर घर का पता कुछ और हकीकत में कुछ निकला

कड़ाई:
1.संक्रमितों की सही जानकारी नहीं लेने पर निजी लैब को नोटिस जारी किया  
2. आधार जैसे सरकारी पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य किया गया
3. मामला ज्यादा बढ़ने के बाद अब ओटीपी आने के बाद लिया जाता है सैंपल

कार्रवाई:
1.सैंपल लेने के दौरान गलत जानकारी देने वाले संक्रमित मरीजों के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज करती है 
2. संक्रमित की जानकारी छुपाने वाले 10 लोगों के खिलाफ गुरुग्राम पुलिस ने मामला दर्ज किया  
3. महामारी रोग एक्ट के तहत एक से 6 माह तक की जेल और 200 से 1000 रुपये तक जुर्माना 

संक्रमण फैलने की संभावना
अरूणा आसफ अली अस्पताल के आरडीए अध्यक्ष डॉ. अमित दायमा ने बताया कि जो कोरोना संक्रमित है और सामने नहीं आए हैं। वह लोग अपने साथ समाज के दूसरे लोगों की जान के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। उन्हें तुंरत खुद इलाज के लिए डॉक्टर और सरकार से संपर्क करना चाहिए। इन लोगों के ट्रेस न हो पाने से संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ सकती हैं। 

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