दिग्विजय सिंह कहीं से भी चुनाव लड़ें, बीजेपी के सामने चुनौती नहीं

भोपाल 
मध्य प्रदेश की वीआईपी सीट भोपाल से कांग्रेस द्वारा दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बीजेपी में उथल-पुथल शुरू हो गई है। जहां एक ओर इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लड़ाए जाने की अटकलें हैं, वहीं उनके बयान ने भी सियासी सुगबुगाहट तेज कर दी है। तीन दशक से बीजेपी के किले के रूप में तब्दील इस संसदीय सीट को बनाए रखने लिए पार्टी ने अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना शुरू कर दिया है। भोपाल में मीडिया से बातचीत के दौरान दिग्विजय सिंह पर चुटकी लेते हुए शिवराज ने यह भी कहा कि वह तो बंटाधार करने वाले नेता रहे हैं।  

खुद शिवराज सिंह चौहान ने भी दिग्विजय के भोपाल से लड़ने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। शिवराज ने भोपाल में कहा, 'दिग्विजय सिंह भोपाल से या कहीं से भी चुनाव लड़ें, बीजेपी के सामने चुनौती नहीं बन पाएंगे। बीजेपी प्रदेश की सभी 29 में से 29 सीटें जीतेगी।' 

Chowkidar Shivraj Singh Chouhan

@ChouhanShivraj
 दिग्विजय सिंह भोपाल से या कहीं से भी चुनाव लड़ें, भाजपा के सामने चुनौती नहीं बन पायेंगे। भाजपा प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतेगी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शिवराज से पत्रकारों ने पूछा कि दिग्विजय सिंह को वह कितना मजबूत कैंडिडेट मानते हैं, जो 16 साल बाद राजनीति में सीधे तौर पर उतर रहे हैं। इस पर शिवराज ने जवाब दिया, 'बंटाधार रिटर्न हैं।' दिग्विजय के खिलाफ अपनी उम्मीदवारी के सवाल पर शिवराज ने साफ-साफ जवाब न देते हुए कहा कि इस बारे में पार्टी जो सोचेगी उसके बाद निर्णय किया जाएगा। 

विधानसभा चुनाव की हार के बाद बीजेपी सतर्क 
विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों में हार मिलने के बाद बीजेपी अब कोई मौका छोड़ने को तैयार नहीं है। बीजेपी के रणनीतिकार इस तथ्य को भी बखूबी समझ रहे हैं कि भोपाल की 8 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर 2018 में एक लाख से भी कम था जो कि 1989 के बाद से दूसरी बार हुआ है। 

ऐसे में भोपाल सीट से दिग्विजय के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारने के लिए बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर चर्चा कर रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा, 'दिग्विजय सिंह के लिए भोपाल जीतना चुनौती है, कांग्रेस भी मानती है कि वह नहीं जीत सकते। यह कांग्रेस का गुटीय संघर्ष है और बीजेपी अपनी पूरी ताकत से लड़ेगी।' 

दिग्विजय की उम्मीदवारी से प्रभावित है राज्य की जनता! 
हालांकि व्यक्तिरूप से बीजेपी नेता मानते हैं कि यह चिंता का कारण है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'पूरा राज्य दिग्विजय सिंह के भोपाल से चुनाव लड़ने को लेकर काफी प्रभावित है। यहां की मीडिया उन्हें सुबह से लेकर रात तक कवर करेगी।' बीजेपी की तरफ से इस सीट से संभावित उम्मीदवारों में दो लोगों का नाम है- भोपाल के मेयर आलोक शर्मा और प्रदेश बीजेपी महासचिव वीडी शर्मा। 

उमा भारती के नाम की भी चर्चा 
हालांकि चर्चा यह भी है कि बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी दिग्विजय के खिलाफ चुनावी रणभूमि में उतार सकती है। 1999 में केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भोपाल से चुनाव लड़कर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को 1,68,864 वोटों के अंतर से हराया था। 4 साल बाद उमा भारती ने 2003 विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की सरकार को शिकस्त देते हुए कांग्रेस को 38 सीटों तक समेट दिया था। 

अल्पसंख्यक और असंतुष्ट नेताओं से चिंतित बीजेपी 
उमा भारती इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकी हैं लेकिन उनका नाम बीजेपी गलियारों में शनिवार शाम तक चर्चा में रहा। बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि सबसे बड़ी चिंता क्षेत्र में 4.5 लाख अल्पसंख्यक वोटों को लेकर है जो कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। इस क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से तीन सीटें भोपाल (उत्तर), भोपाल (मध्य) और भोपाल (दक्षिण-पश्चिम) कांग्रेस के पास हैं। इनमें भी दो सीटों पर दिग्विजय के करीबी पीसी शर्मा और आरिफ अकील प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। बीजेपी इस बात से भी चिंचित है कि बाबूलाल गौर जैसे उसके कुछ प्रभावी लेकिन असंतुष्ट नेता दिग्विजय के करीब जा रहे हैं। 

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