दिग्विजय ने स्वीकारी हार, कही यह बात

भोपाल
देश की सबसे हॉट सीट में शामिल भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह चुनाव हार गए| बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने तीन लाख से अधिक वोटों से भोपाल में बड़ी जीत दर्ज की है|  मतगणना के दौरान कांग्रेस प्रत्‍याशी दिग्विजय सिंह और भाजपा उम्‍मीदवार साध्‍वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक साथ बैठे नजर आए। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने चुनाव परिणाम को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी हार को स्वीकार किया| 

मीडिया से बातचीत करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा भोपाल संसदीय क्षेत्र से हार स्वीकार करता हूँ, जनता का फैसला और जो जनादेश आया है वो स्वीकार करता हूँ| इसके साथ ही उन्होंने मीडिया से कहा कि कल शाम चार बजे वे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और चुनाव परिणाम पर विस्तार से चर्चा करेंगे| इस दौरान सभी सवालों के उत्तर भी देंगे और अपनी बात भी रखेंगे| मीडिया से बातचीत के दौरान दिग्विजय काफी निराश नजर आये और ज्यादा बात न करते हुए वे निकल गए| 

भोपाल लोकसभा सीट की मतगणना के दौरान कांग्रेस प्रत्‍याशी दिग्विजय सिंह और भाजपा उम्‍मीदवार साध्‍वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक साथ बैठे नजर आए। जब प्रज्ञा ठाकुर ने निर्णायक बढ़त ले ली तो दिग्विजय सिंह मतगणना स्थल से उठकर वहां से चले गए। वहीं सीहोर गणेश मंदिर में दर्शन के बाद प्रज्ञा ठाकुर भोपाल में मतगणना केंद्र पहुंची। जहां उन्होंने कहा आज खुशी का दिन भोपाल और सीहोर की जनता को बधाई। 

बता दें कि भोपाल सीट पर 1957 से लेकर अब तक हुए चुनाव में पहली बार 2019 में सबसे ज्यादा 65.69 फीसदी मतदान हुआ। 2014 में 57.79 फीसदी मतदान हुआ था। भोपाल सीट पर सिर्फ दो बार ही ऐसे मौके आए, जब मतदान का प्रतिशत 60 के अधिक रहा। पहली बार 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में 61.76% और दूसरी बार 1999 में 61.88%। 1957 में भोपाल में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था। इसमें कांग्रेस की मैमुना सुल्तान जीती थीं।

कई मामलों में भोपाल सीट देश भर में सुर्ख़ियों में रही है| इस सीट पर भाजपा कांग्रेस से ज्यादा साध्वी प्रज्ञा और दिग्विजय सिंह के बीच लड़ाई थी, और इस लड़ाई को बेहद अहम् माना जा रहा था|  प्रदेश की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले दिग्विजय सिंह ने जीते के लिए संतों की फौज तक का सहारा लिया, लेकिन बीजेपी के गढ़ में सेंध नहीं लगा पाए|  भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली भोपाल सीट पर तीस साल से कांग्रेस ने जीत का स्वाद नहीं चखा है,  इस सीट पर कांग्रेस सारे नुस्खे आजमा चुकी है लेकिन जीत नहीं मिली। ब्राह्मण, मुस्लिम, कायस्थ, ओबीसी, नवाब, क्रिकेटर, स्थानीय, बाहरी सबको आजमा लिया, पर कोई भी प्रयोग सफल नहीं हुआ। कांग्रेस के के एन प्रधान 1984 में भोपाल से जीतने वाले आखिरी उम्मीदवार थे। हारने वालों की सूची में पूर्व क्रिकेटर नवाब पटौदी, पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी जैसे दिग्गज शामिल हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपने सबसे वरिष्ठ और चुनावी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा| लेकिन दिग्विजय भी चुनाव नहीं जीत पाए| वे राजगढ़ से टिकट चाहते थे| लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें सबसे कठिन सीट से चुनाव लड़ने को कहा था| जिसके बाद दिग्विजय यहां से पूरी ताकत से लड़े, लेकिन बीजेपी के गढ़ को भेद नहीं सके| 

शुरुआत से ही यहाँ का चुनाव देश भर में चर्चित रहा| साध्वी प्रज्ञा की बयानबाजी से देश भर में विरोध भी उठा| उनके बयानों पर बीजेपी की किरकिरी भी हुई और साध्वी को बार बार माफ़ी भी मांगनी पड़ी| इन सबके बाद भी साध्वी जीतने में सफल हुई| वही पूरे चुनाव प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह ने काफी नपे-तुले शब्दों में निशाना साधा, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान साध्वी के तल्ख तेवर बरकरार रहे। हिन्दू आतंकवाद के आरोपों को भूनानकर बीजेपी ने दिग्विजय को पूरे चुनाव में घेरने की कोशिश की और भंटाढार जैसे शब्दों का प्रयोग कर बीजेपी ने अपना प्रचार किया| यहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी रोड शो किया था| बीजेपी के लिए इस बार चुनौती माना जा रहा था| लेकिन शुरुआत से बीजेपी ने बढ़त बनाकर रखी | 

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