तेज प्रताप ने तेजस्वी को दिया 2 दिन का अल्टिमेटम, बोले-‘…वरना फैसला मैं लूंगा’

 
पटना 

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने परिवार और पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पहले तो उन्होंने अपनी पार्टी से अलग जाकर 'लालू-राबड़ी मोर्चा' के गठन का ऐलान कर दिया और अब उन्होंने अपने छोटे भाई और बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को दो दिन का अल्टिमेटम दे दिया है। तेज प्रताप ने तेजस्वी को अल्टिमेटम देते हुए कहा है कि वह उनके दो उम्मीदवारों के बारे में फैसला करें या फिर वह (तेज प्रताप) खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इन सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर देंगे।  
 
2019 लोकसभा चुनाव से ऐन पहले बागी तेवर अपना चुके तेज प्रताप ने मंगलवार को तेजस्वी को अल्टिमेटम देते हुए कहा, शिवहर और जहानाबाद की सीट पर अपने दो उम्मीदवारों के बारे में निर्णय लेने के लिए मैं पार्टी को दो दिन का और समय दे रहा हूं। आप या तो इस पर निर्णय लीजिए या फिर मैं खुद निर्णय लूंगा। 
  
12 सीटों पर होगा महामुकाबला
लोकसभा चुनाव के लिए सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान जारी है। इस बार उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड की ऐसी कई सीटें हैं जहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। इन तीनों ही राज्यों में 2014 चुनाव में बीजेपी ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था लेकिन इस बार बिहार में महागठबंधन और यूपी में एसपी-बीएसपी-आरएलडी के गठबंधन की बदौलत इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर मिलने वाली है। एक नजर इन सीटों पर-
यूं तो अमेठी कांग्रेस का गढ़ है और गठबंधन भी यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतार रहा है, फिर भी अमेठी में इस बार मुकाबला कांटे का होगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी ने स्मृति इरानी को यहां से टिकट दिया है। स्मृति ने 2014 में भी इसी सीट से राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें मात भी मिली थी लेकिन उसके बाद से वह अमेठी में काफी सक्रिय रही हैं। दूसरी ओर राहुल यहां से 3 बार सांसद रह चुके हैं।
राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) नेता अजित सिंह पहली बार मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यह सीट जाट बाहुल्य सीट है जो कि आरएलडी का वोटबैंक भी है। वहीं बीजेपी ने यहां से मौजूदा सांसद संजीव बालियान को टिकट दिया है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद 2014 में हुए चुनाव में ध्रुवीकरण और मोदी लहर में यहां से संजीव बालियान जीत गए थे लेकिन इस बार उनके सामने अजित सिंह के रूप में कड़ी चुनौती होगी। एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ अजित सिंह यहां से जाट, मुस्लिम और दलितों के समीकरण को लेकर अपनी जीत का ताना-बाना बुन रहे हैं।
आरएलडी का गढ़ माने जाने वाली पश्चिमी यूपी की बागपत सीट से पहली बार जयंत चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से उनके पिता अजित सिंह को बीजेपी के सत्यपाल सिंह से 2014 में मात मिली थी। ऐसे में जयंत के सामने इस सीट पर अपने परिवार का खोया हुआ विश्वास लौटाने की चुनौती होगी। बीजेपी ने इस बार भी मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह को ही टिकट दिया है।

यूपी की अमरोहा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां से मौजूदा बीजेपी सांसद कंवरसिंह तंवर को इस बार इस सीट दानिश अली से कड़ी चुनौती मिल सकती है। दानिश हाल ही में बीएसपी में शामिल हुए हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने यहां से राशिद अल्वी को टिकट दिया है। अमरोहा में 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। इसके अलावा यहां दलित, सैनी और जाट समुदाय के लोग भी हैं।
उत्तर प्रदेश के यादव परिवार का झगड़ा इस बार लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर और ज्यादा साफ नजर आएगा। फिरोजाबाद से इस बार एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ एसपी ने राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को मैदान में उतारा है। पुराने वोटरों और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच पैठ रखने वाले शिवपाल अपने भतीजे को कड़ी टक्कर देते नजर आएंगे।
बदाऊं सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है और यहां से पिछले 6 चुनाव में पार्टी का सांसद चुना गया है। हालांकि इस बार मुलायम सिंह यादव के भतीजे और मौजूदा सांसद धर्मेंद्र यादव के लिए यहां से जीतना इतना आसान नहीं होगा। उनके खिलाफ बीजेपी ने सवर्णों और गैर-यादव वोटरों को लुभाने के लिए यूपी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व एसपी नेता औ

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