तीन प्रोफेसरों की भर्ती API को देखे बिना, अटकी फाइल
भोपाल
माखनलाल चतुवेर्दी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में तीन प्रोफेसरों की भर्ती एकेडमिक परफार्मेंस इंडेक्स (एपीआई) को देखे बिना ही नियुक्तियां दी गई हैं। उनकी फाइल पिछले दो कुलपतियों के सामने प्रस्तुत की गर्इं, लेकिन वे उनके खिलाफ एक्शन नहीं ले सके। अब फाइल प्रभारी कुलपति पी नरहरि के पास पहुंचेगी।
विवि में कंचन भाटिया, मनोज पचारिया और कनक सक्सेना का एपीआई ठीक नहीं होने पर प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया गया। उन्होंने फर्जी एपीआई बनाए हैं। जांच में इंटरनल क्वालिटी एसोरेंश कमेटी (आईक्यूएसी) ने उन्हें दोषी पाया है। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद फाइल को उक्त प्रोफेसरों पर कार्रवाई करने तत्कालीन कुलपति बृजकिशोर कुठियाला और जगदीश उपासने के पास फाइल भेजी गई, लेकिन उन्होंने मामला को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब ये फाइल प्रभारी कुलपति नरहरि की टेबिल पर फिर रखी जाएगी।
जांच के दौरान कनक सक्सेना से एपीआई संबंधी में साक्ष्य मांगे गए। इस दौरान उन्हें लगा कि उनके द्वारा किया गया फर्जीवाड़ा खुल जाएगा। इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। ये इस्तीफा फाइल में संलग्न है।
एपीआई में प्रोफेसरों को सालाना अंक आवंटित होते हैं। इसमें उनके सालभर का शैक्षणिक, शोध में गतिविधिय, संगोष्ठी और सेमिनार में उपस्थिति, शिक्षा व समाज सुधार कार्यक्रम में भागीदारी के साथ अन्य गतिविधियों को मिलाकर प्रोफेसरों को एपीआई तैयार किया जाता है। इसके आधार पर प्रोफेसरों को प्रमोशन देने दिए जाते हैं।