तीन क्षेत्रीय पार्टियों का भी सूपड़ा साफ, हरियाणा में BJP ने किया वंशवाद की राजनीति का अंत
चंडीगढ़
लोकसभा 2019 चुनाव में बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए ने प्रचंड जीत दर्ज की है. देश में दोबारा नरेंद्र मोदी सरकार बननी तय है. इसी के साथ हरियाणा में बीजेपी ने वंशवाद राजनीति का भी अंत कर दिया है. राज्य में बीजेपी ने सभी 10 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर कांग्रेस समेत अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया है. हारने वाले नेताओं में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल हैं, जिन्हें सोनीपत सीट पर बीजेपी के रमेश कौशिक ने हराया. कुमारी शैलजा को बीजेपी के रतन लाल कटारिया ने मात दी. इसके अलावा हिसार में भजन लाल के पोते भव्या बिश्नोई तीसरे स्थान पर रहे. जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला को बीजेपी के बिजेंद्र सिंह ने मात दी.
इन चुनावी नतीजों से राज्य में वंशवाद राजनीति का खात्मा हो गया है क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा, अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला, हरियाणा के पूर्व सीएम बंसी लाल की बेटी श्रुति चौधरी और भजन लाल के पोते भव्य बिश्नोई चुनाव हार गए. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ''हरियाणा में वंशवाद राजनीति खत्म हो गई है. विपक्षी पार्टियां जनहित से ज्यादा अपने हित के बारे में सोच रही थीं. वे सिर्फ अपनी जेबें भरना चाहती हैं.लोग मिलीभगत की राजनीति से तंग आ चुके हैं. ''
वंशवाद राजनीति के अलावा, 2019 लोकसभा चुनाव में तीन क्षेत्रीय पार्टियों का भी सूपड़ा साफ हो गया है, जिसमें लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी शामिल है. लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का गठन पूर्व भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने किया था. जबकि आईएनएलडी टूटने के बाद जननायक जनता पार्टी बनी थी.
चुनावी नतीजों पर मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि विपक्ष का ईवीएम मशीनों पर विश्वास न करना भ्रम है, जिससे उन्हें बाहर निकलना चाहिए. उन्होंने कहा, विपक्ष बेवजह ही ईवीएम मशीनों पर शक कर रहा है. कुछ ने तो स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर टेंट भी गाड़ लिए थे. खट्टर ने कहा, कांग्रेस को राष्ट्रवाद की कीमत न समझने की कीमत चुकानी पड़ी. उन्होंने कहा, पुलवामा आतंकी हमले पर सवाल उठाकर कांग्रेस ने आम आदमी का विश्वास तोड़ दिया. उन्होंने कहा, ''यूपीए राष्ट्रवाद को नहीं समझी. बीजेपी का मकसद राष्ट्रवाद है. यूपीए ने उस वक्त लोगों का विश्वास खो दिया, जब उसने पुलवामा आतंकी हमले पर सवाल उठाए.''