डीजीपीएस से डिफेंस लैंड का सर्वे

जबलपुर
 रक्षा संपदा विभाग ने फिर अपनी जमीन की नापजोख शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग जगहों पर स्थित 57 हजार एकड़ से ज्यादा रक्षाभूमि का सर्वे हो रहा है। इसमें फौजी पड़ाव की जमीन भी शामिल है। नापजोख में एक इंच जमीन भी यहां से वहां न हो इसलिए सर्वे को डिजीटल ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) से अंजाम दिया जा रहा है। इसमें रक्षा संपदा विभाग के एसडीओ के अलावा सेना और राजस्व विभाग के अधिकारी भी साथ में हैं।

शहर में स्थित रक्षा संपदा विभाग कार्यालय के अंतर्गत न केवल मध्यप्रदेश बल्कि छत्तीसगढ़ का हिस्सा भी आता है। टीम के द्वारा केंट बोर्ड के अंतर्गत 42 सौ एकड़ जमीन को छोडकऱ बांकी जगह का सर्वे किया जा रहा है। पूर्व में रक्षा संपदा विभाग ने खुद ही टोटल स्टेशन मशीन (टीएसएम) से 45 से ज्यादा पॉकेट में बंटी रक्षा भूमि का सीमांकन किया था। अब इसमें सेना के साथ आरआरई और पटवारी के रूप में राजस्व विभाग के अमले को भी शामिल किया गया है।

कब्जे या सीमा में तो बदलाव नहीं

टीम सर्वे में यह देखेगी कि रक्षाभूमि पर कोई कब्जा तो नहीं है। यही नहीं सीमाओं में कोई परिवर्तन तो नहीं हुआ। सर्वे के बाद डिजीटल नक्शा भी तैयार किए जाएंगे। सारी रिपोर्ट तैयार कर इसे रक्षा मंत्रालय भेजा जाएगा। सिहोरा और शहपुरा में काम पूराबताया जाता है कि संयुक्त टीम ने शहपुरा और सिहोरा में सर्वे का काम पूरा कर लिया है। इन दोनों ही जगहों पर फौजी पड़ाव की जमीन है। इन जगहों पर ज्यादातर में कब्जा है।

कहां कितनी जमीन

– ओएफके 4 हजार एकड़

– जीसीएफ 18 सौ एकड़

– सीओडी 19 एकड़

– वीएफजे 900 एकड

फ़ौजी पड़ाव (कैम्पिंग ग्राउंड)

– सिहोरा 40 एकड़

– शहपुरा 8 एकड़

– नीमखेड़ा 12 एकड़

– गाडरवारा (नरसिंहपुर) 6 एकड़

– मटकुली (होशंगाबाद) 21 एकड़

– पगारा (होशंगाबाद) 22 एकड़

– सिंगानामा (होशंगाबाद) 6 एकड़

– पिपरिया (होशंगाबाद) 20 एकड

ऱक्षाभूमि के सर्वे का काम शुरू किया गया है। यह सतत प्रक्रिया है। इस काम में राजस्व और सैन्य प्रशासन का भी सहयोग लिया जा रहा है। प्रक्रिया में मूल रूप से पता लगाया जाता है कि सीमाओं में कोई परिवर्तन तो नहीं हुआ।अरविंद कुमार नेमा, रक्षा संपदा अधिकारी

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