डिजिटल फाइनैंस कंपनियों को मिल सकती है आधार बेस्ड eKYC की इजाजत

 बेंगलुरु
डिजिटल फाइनैंस कंपनियों को अपने कस्टमर्स की पहचान का सत्यापन आधार के डेटाबेस से कराने की इजाजत मिल सकती है। ईटी को यह जानकारी सेंट्रल गवर्नमेंट के एक नोट से मिली है जिसमें नॉन बैंकिंग फर्म्स को eKYC फैसिलिटी दिए जाने पर विचार किया गया है। ऐसा होने पर मोबाइल वॉलिट और डिजिटल लेंडिंग स्टार्टअप्स को बहुत फायदा होगा जिनके पसीने आरबीआई के अनिवार्य कस्टमर वेरिफिकेशन रूल्स का पालन करने में छूट रहे हैं।

फाइनैंस मिनिस्ट्री के डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू की तरफ से सर्कुलेट नोट में इस बात का संकेत दिया गया है कि अगर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट 2002 से बंधीं नॉन बैंकिंग कंपनियां आधार के प्राइवेसी और सिक्यॉरिटी स्टैंडर्ड्स का पालन करेंगी तो सरकार उन्हें बायोमीट्रिक बेस्ड डेटाबेस का एक्सेस देने पर विचार करेगी। आरबीआई गवर्नर और सेबी चेयरमैन सहित सभी फाइनैंशल रेग्युलेटर को 9 मई को भेजे गए नोट के मुताबिक, 'अगर कोई एंटिटी ई-केवाईसी ऑथेंटिकेशन फैसिलिटी का इस्तेमाल करके क्लाइंट के आधार नंबर का ऑथेंटिकेशन करना चाहती है तो उनके लिए इसके प्रोविजन के हिसाब से नोटिफाई करना होगा।'

RBI/SEBI से लेनी होगी इजाजत
ईटी ने इस नोट की कॉपी देखी है। उसके मुताबिक, 'रेग्येलटर और UIDAI का रिपोर्टिंग एंटिटी की विश्वसनीयता से संतुष्ट होना जरूरी है।' नोट में तीन चरणों वाली प्रक्रिया का जिक्र किया गया है जिसका पालन वॉलेट, NBFC और स्टॉक ब्रोकर्स जैसी रिपोर्टिंग एंटिटीज को आधार का एक्सेस हासिल करने के लिए करना होगा। मिसाल के लिए आधार डेटाबेस के एक्सेस के लिए पेमेंट और लेंडिंग कंपनियों को पहले RBI से इजाजत लेनी होगी, जबकि ब्रोकिंग एंटिटीज को सेबी की मंजूरी लेनी होगी।

UIDAI के पास अर्जी देनी होगी
रेग्युलेटर से परमिट मिलने के बाद इन एंटिटीज को प्राइवेसी और सिक्यॉरिटी चेक के लिए UIDAI के पास अर्जी देनी होगी। आधार के मैनेजमेंट का जिम्मा UIDAI के पास है। क्लीयरेंस के लिए एंटिटीज की तरफ से मिली सूचना को फाइनैंस मिनिस्ट्री के पास भेजा जाएगा। क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन के ऑनलाइन मार्केटप्लेस बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, 'इसके कम से कम अभी तीन चरणों वाली प्रक्रिया की जरूरत है। इससे हमें आधार डेटाबेस का एक्सेस मिल जाएगा और हम दूर बैठे कस्टमर का eKYC कर पाएंगे।'

सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया था नियम
आमतौर पर कस्टमर्स को डिजिटल माध्यम से ऐड करने के लिए कंपनियों को eKYC फैसिलिटी जरूरत पड़ती है। हालांकि प्राइवेट कंपनियों को आधार का एक्सेस देने वाले ऐक्ट के प्रोविजन पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर से खारिज होने के बाद ये कंपनियां कस्टमर वेरिफिकेशन के लिए पेपर बेस्ड प्रोसेस करने में मजबूर हो गईं। फरवरी में पास ऑर्डिनेंस के जरिए बैंकों और टेलिकॉम कंपनियों को स्वेच्छा से आधार देने के इच्छुक कस्टमर के डेटा को एक्सेस करने का अधिकार मिल गया।

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