जेसिका लाल के दोषी को रिहाई अभी नहीं, कोर्ट ने मांगी दिल्‍ली सरकार से राय

नई दि‍ल्‍ली            
दिल्‍ली के जेसिका लाल मर्डर केस में दोषी मनु शर्मा को रिहाई को लेकर कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने कहा है कि जेल से रिहाई को लेकर मनु शर्मा का भविष्य सरकार ही तय करे.  गौरतलब है कि मनु शर्मा इस हत्‍याकांड में अब तक तकरीबन 14 साल की सजा जेल में काट चुक है. मनु शर्मा को इस दौरान 19 बार फर्लो और 9 बार पैरोल मिल चुकी है.

जेसिका लाल की हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सज़ा काट रहे 43 साल के मनु शर्मा ने अपनी अर्जी में कहा है कि वह आदतन अपराधी नहीं है और जेसिका की हत्या गुस्से में चलाई गई गोली का नतीजा थी. उसके माता-पिता उम्रदराज हो चुके हैं. जिस कारण घर चलाने समेत पत्‍नी की जिम्मेदारी उस पर है.

सलमान खुर्शीद आज इस मामले में मनु शर्मा के वकील के तौर पर पेश हुए थे. खुर्शीद ने कोर्ट को कहा कि मनु शर्मा के खिलाफ कोई भी शिकायत या बुरे बर्ताव की रिपोर्ट नहीं है. मनु शर्मा फिलहाल अपने अच्छे बर्ताव के कारण ओपन जेल में है.

मनु शर्मा की याचिका पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि रिहाई को लेकर उनका क्या स्टैंड है. दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस मार्च में होने वाली sentence review board की मीटिंग में तय करें.

कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अगर इस बोर्ड की मीटिंग के नतीजे से मनु शर्मा संतुष्ट न हो, तो दोबारा कोर्ट का रुख कर सकते है. फिलहाल कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया है.

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार तीन बार आपकी Premature Release Plea को सुनकर खारिज कर चुकी है. ऐसे में आप एक बार और सरकार के पास अर्जी लगा सकते है. इस मामले में मनु शर्मा की रिहाई पर राज्य ही अपनी हाईपावर कमेटी (sentence review board) के माध्यम से फैसला करे.

दरअसल इस मामले में डीसीपी ने Premature Release पर हरी झंडी दे दी थी, लेकिन पुलिस कमिश्नर ने मनु शर्मा की रिलीज को लेकर असहमति जताई थी. कोर्ट जानना चाहती है कि इस मामले में दिल्ली सरकार की गाइडलाइंस क्या है और मनु शर्मा के तीन बार लगाई गई अर्जी पर अब तक क्या-क्या हुआ है.

दिल्ली सरकार ने कहा कि Premature Release की गुंजाइश बहुत कम है. क्योंकि इस तरह के मामलों में गाइडलाइंस हैं और उनको बायपास नहीं किया जा सकता. दिल्ली सरकार इस मामले में कोर्ट में भी जवाब देने को तैयार है.

बता दें कि इस तरह के मामलों में हाई पावर कमेटी ही तय करती है कि कैदी की रिहाई मुमकिन है या नहीं. इस कमेटी में राज्य के गृह मंत्री, पुलिस कमिश्नर भी शामिल होते है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *