जियो, एयरटेल, वोडा को ₹42000 Cr की राहत

नई दिल्ली
सरकार ने टेलिकॉम कंपनियों को को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। बुधवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी की मीटिंग में दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम पेमेंट पर दो साल की छूट देने का फैसला किया गया। वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 का स्पेक्ट्रम पेमेंट टाले जाने से भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो को 42,000 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।

वित्त निर्मला सीतारमण ने मीटिंग में किए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि दूरसंचार कंपनियों को हो रही परेशानी को देखते हुए कैबिनेट ने स्पेक्ट्रम ऑक्शन से जुड़े इंस्टॉलमेंट का भुगतान दो साल टालने का फैसला किया। सीतारमण ने कहा कि डेफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट को बाकी किस्तों में बराबर बांटा जाएगा और मौजूदा टाइम पीरियड में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि टेलिकॉम कंपनियों को डेफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट्स पर तय ब्याज का भुगतान करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया था सरकार का पक्ष
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने AGR विवाद में सरकार का पक्ष लिया था। उसने कहा था कि इसकी गणना में टेलीकॉम कंपनियों के नॉन-कोर रेवेन्यू को भी शामिल किया जाएगा। इससे जुलाई 2019 तक लाइसेंस फीस, पेनाल्टी और इंटरेस्ट के रूप में कंपनियों पर 92,642 करोड़ की देनदारी बढ़ी थी। वहीं, SUC की वजह से अक्टूबर अंत तक कंपनियों पर 55,054 करोड़ का बोझ बढ़ा था। बीएसई पर बुधवार को वोडा आइडिया के शेयर 17.5 प्रतिशत चढ़कर 7.07 रुपये पर बंद हुए, जबकि एयरटेल का शेयर 0.46 प्रतिशत के मामूली गिरावट के साथ 437.25 रुपये पर रहा। जियो की मालिक कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 2.47 प्रतिशत चढ़कर 1,547.05 रुपये पर बंद हुए।

कंपनियों ने की थी ब्याज माफ करने की अपील
एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने सरकार से पेनल्टी और ब्याज माफ करने की अपील की थी और मूल रकम चुकाने के लिए भी अधिक समय की मांग की थी। उनका यह भी कहना था कि शुरू के दो साल तक इसके भुगतान से छूट दी जाए। एयरटेल पर जितनी रकम बकाया है, उसमें जुर्माना और ब्याज की रकम मिलाकर मूल बकाये का 75 प्रतिशत है। AGR के मद में दोनों कंपनियों ने सितंबर तिमाही में प्रोविजनिंग (भुगतान के लिए पैसा अलग रखा) की, जिससे वोडा आइडिया को रिकॉर्ड 51 हजार करोड़ और एयरटेल को 23 हजार करोड़ का रेकॉर्ड घाटा हुआ।

7 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज
दूरसंचार कंपनियों को राहत देने के उपायों पर विचार करने के लिए केंद्र ने कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गाबा की अगुवाई में एक कमिटी बनाई थी। गाबा के अलावा कमेटी में डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स, फाइनैंशल अफेयर्स, रेवेन्यू, कॉरपोरेट अफेयर्स, टेलीकॉम, IT के सेक्रेटरीज और नीति आयोग के सीईओ शामिल थे। टेलिकॉम कंपनियां तीन वर्ष से प्राइस वॉर का सामना कर रही हैं और इन पर सात लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है।

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