जिनके 3 मंज़िला मकान और कार वो भी ले रहे हैं संबल योजना का लाभ

ग्वालियर
मध्य प्रदेश में संबल योजना में की गयी गड़बड़ी अब सामने आने लगी है. इस योजना का लाभ वो लोग उठा रहे हैं जिनके तीन मंज़िला घर, कार और एसी हैं. ग्वालियर जिले में 44 हजार 942  से 21 हजार 615 उपभोक्ता जांच के दायरे में हैं.

संबल योजना में मजदूर, और बीपीएल कार्ड वाले गरीब-निम्न आय वर्ग के लोगों को शामिल किया गया था. नगर निगम में इनके संबल कार्ड बनाए गए. उस आधार पर पहले इन उपभोक्ताओं के लाखों रुपए के बकाया बिजली बिल माफ किए गए.बाद में सरल योजना के तहत 1 किलोवाट की लिमिट तय कर 200 रुपए प्रतिमाह बिजली बिल देने की स्कीम से जोड़ा गया.

जनवरी से कांग्रेस सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर इंदिरा ज्योति योजना कर दिया. लेकिन भौतिक सत्यापन ना होने और राजनीतिक लाभ लेने के चक्कर में पहले भाजपा और बाद में कांग्रेस सरकार ने बड़ी संख्या में अपात्र हितग्राहियों को इस योजना में जोड़ लिया. नतीजतन ग्वालियर शहर में ही संदिग्ध 21 हजार 615 उपभोक्ताओं ने 38 करोड़ रुपए की बिजली फूंक दी.

ग्वालियर जिले के नॉर्थ डिवीजन के विनय नगर, तानसेन नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, लधेड़ी, फूलबाग जोन में हुई जांच में ऐसे ही उपभोक्ता पाए गए. इनके मीटर की औसत खपत 500 यूनिट प्रतिमाह और इससे भी अधिक थी. दिलचस्प बात यह रही कि इन उपभोक्ताओं के यहां तीन मंजिला मकान, कार और लगभग हर घर में एसी लगा मिला. तानसेन नगर जोन में 17 उपभोक्ताओं की जांच की गयी तो उनमें से 11 के यहां एसी मिला. ये फर्ज़ी उपभोक्ता 5 महीने में 38 करोड़ रुपए की बिजली फूंक चुके हैं.

किस डिवीजन में कितने उपभोक्ता संदिग्ध-

  • नॉर्थ डिवीजन-15,642 में से 10,900 अपात्र
  • सेंट्रल डिवीजन-11,342 में से 4,215 उपभोक्ता अपात्र
  • साउथ डिवीजन-6500 में से 1,500 अपात्र
  • ईस्ट डिवीजन- 11,458 उपभोक्ताओं में से 5,000 अपात्र

प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 200 रुपए प्रतिमाह बिल को घटाकर 100 रुपए प्रतिमाह कर दिया और बिजली खपत की लिमिट भी तय नहीं की.लेकिन बाद में जब फर्जीवाड़ा की आशंका हुई तो योजना में बदलाव कर 100 यूनिट तक 100 रुपए कर दिया. इसके बाद मौजूद टैरिफ से बिलिंग करने का प्रावधान कर दिया. इसलिए जितनी बिजली इस्तेमाल की जा रही है, उसी हिसाब से बिल आने लगे.संबल की आड़ में जिन अपात्र उपभोक्ताओं का मासिक बिल पिछले 5 महीने से 150 से 200 रुपए महीना आ रहा था,  जून से उनके यहां औसतन 3500 रुपए के बिल पहुंचने लगे हैं.

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