जाली जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे हैं कई अफसर, 105 पर है नज़र

इंदौर 
मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार के दौरान जाली जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे अधिकारियों कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है. कमलनाथ सरकार की नज़र ऐसे अफसरों और कर्मचारियों पर है. फिलहाल लिस्ट में 105 अफसरों के नाम हैं.

कमलनाथ सरकार के गृहमंत्र बाला बच्चन ने इन अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई के साफ संकेत दिए हैं. बताया जा रहा है कि कानूनी दांव-पेज की वजह से लंबे समय से इन लोगों पर कार्रवाई नहीं की जा सकी.

शिवराज सरकार में आदिम जाति कल्याण मंत्री ज्ञान सिंह ने विधायक सत्यपाल सिंह सकवार के विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में जानकारी दी थी कि प्रदेश में 105 अफसरों ने जाली जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की है. उनके ख़िलाफ मिली शिकायतों के आधार पर प्रकरण दर्ज कर जांच की जा रही है. इनमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी से लेकर तमाम अफसर शामिल हैं.

तत्कालीन मंत्री ने जांच की घोषणा तो की थी लेकिन आज तक हुआ कुछ नहीं. जांच के नाम पर इन अफसरों को हर बार जीवनदान दिया गया.इनमें से कई मामले कोर्ट में हैं और कई अफसर तो रिटायर भी हो चुके हैं.

प्रदेशभर में 2 लाख 48 हजार 668 लोगों ने डिजिटल जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था. जांच के बाद उनमें से 13 हजार 414 आवेदन निरस्त कर दिए गए थे और 12 हजार 494 जाति प्रमाण पत्रों के रिकॉर्ड ही नहीं मिल पा रहे हैं.ज़ाहिर है ये जाति प्रमाण पत्र जाली हैं. भोपाल में अब तक 2 हजार 733 जाति प्रमाण पत्र जाली पाए गए हैं.

छानबीन समिति ने साल 1998 से लेकर 2015 तक 378 प्रकरणों की जांच की थी.उनमें से ज़्यादातर जाति प्रमाण पत्र जाली निकले थे. फिर ऐसे अधिकारी और कर्मचारी आज तक ठप्पे से नौकरी कर रहे हैं.

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