जातीय समीकरण साधने में BJP ने फिर बाजी मारी

ग्वालियर
मुरैना लोकसभा सीट पर पिछले 28 साल से लगातार जीत के लिए तरस रही कांग्रेस के लिए एक बार फिर से सामाजिक गणित को साधने की बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। दरअसल स्थानीय राजनीति पर हावी जातीय समीकरणों को साधने के लिहाज से भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से मैदान मार लिया है। उधर बहुजन समाज पार्टी ने भी सोशल मैनजेमेंट के लिहाज से कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ाने का काम कर दिया है।

ऐसे में जमीनी हालात कांग्रेस के रणनीतिकारों के लिए मुसीबत का सबब बनने लगे हैं। चंबल की माटी के चटख अंदाज वाली मुरैना-श्योपुर संसदीय सीट पर इस बार भाजपा अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखने के लिए प्रयासरत है तो कांग्रेस के सामने पिछले 6 लोकसभा चुनावों से लगातार मिल रही पराजय के मिथक को तोड़ने की बड़ी चुनौती है। हालांकि अंतिम दौर में बहुजन समाज पार्टी द्वारा प्रत्याशी बदले जाने से इस चुनाव में बन रहे त्रिकोणीय समीकरणों के बीच मुकाबला रोचक होने के आसार हैं।

मुरैना संसदीय सीट पर जीत के लिए कांग्रेस 1991 के चुनाव के बाद से तरस रही है। शुरुआत से अब तक इस लोकसभा क्षेत्र में केवल तीन बार ही कांग्रेस का परचम फहराया है। वहीं एक बार जनसंघ की जीत को मिलाकर बीजेपी यहां कुल 7 बार अपना झंडा बुलंद कर चुकी है। इससे पहले इस संसदीय क्षेत्र से एक बार 1977  में भारतीय लोकदल से छविराम अर्गल जीते थे लेकिन बाद में वह भाजपा में चले गए और 1989 में एक बार फिर वह यहां से सांसद चुने गए। 1967 से अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर सबसे पहली जीत निर्दलीय आतमदास ने दर्ज की और वह मुरैना के पहले सांसद बने।

कांग्रेस के लिए लगातार चिंता का विषय रही मुरैना लोकसभा के चुनावी गणित को देखें तो पिछली बार के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। कांग्रेस की ओर से यहां लहार के डॉ. गोविन्द सिंह को मैदान में उतारा गया, उन्हें 1 लाख 84 हजार 253 वोट मिले जबकि बीजेपी के अनूप मिश्रा 3 लाख 75 हजार 567 मतों के साथ भारी अंतर से विजयी रहे। यहां दूसरे स्थान पर बसपा के बृन्दावन सिंह सिकरवार रहे, उनको  2 लाख 42 हजार 586 वोट मिले थे।  

मुरैना संसदीय क्षेत्र की तीन विधानसभाओं में बीएससी का काफी प्रभाव रहा है और अब तक कई लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा उठाना पड़ा है। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव में इस फेक्टर से बीजेपी बहुत घाटे में रही। इस लोकसभा क्षेत्र में दो जिलों मुरैना और श्योपुर की कुल 8 विधानसभाएं आती हैं  जिनमें मुरैना की 6 और श्योपुर की 2 विधानसभाएं शामिल हैं।

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