चुनाव आयोग ने खारिज की आयुक्त लवासा की मांग, सार्वजनिक नहीं होगा असहमति का मत

नई दिल्ली
चुनाव आयोग ने आयुक्त अशोक लवासा की आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में पैनल के किसी सदस्य की असहमति को सार्वजनिक किए जाने की मांग खारिज कर दी है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में असहमति या अल्पमत के विचारों को रेकॉर्ड में रखा जाएगा, लेकिन उन्हें फैसलों में शामिल नहीं किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा की राय थी कि चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में फैसले न्यायिक नहीं होते। ऐसे में इन फैसलों में अल्पमत की राय या फिर असहमति को आदेश में शामिल नहीं किया जा सकता।

हालांकि दोनों इस बात पर सहमत थे कि अल्पमत या असहमति के विचार को जरूर सुना जाना चाहिए, लेकिन इसे सिर्फ रिकॉर्ड में ही रखा जा सकता है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा, 'आरटीआई ऐक्ट के तहत लोग चुनाव आयोग की फाइल नोटिंग्स के बारे में जान सकते हैं। चुनाव आयोग हमेशा से पारदर्शी रहा है और आगे भी रहेगा।'

अधिकारी ने बताया, 'आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया के बारे में हुई बैठक में यह तय किया गया है कि इस तरह के मामलों में सभी सदस्यों के विचारों को निस्तारण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाएगा। सभी सदस्यों के मत के आधार पर उक्त शिकायत को लेकर कानून सम्मत औपचारिक निर्देश पारित किया जाएगा।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *