चित्रकूट विवि से BSW करने वाले विद्यार्थियों को पढ़ा रहे स्कूली मास्टर 

भोपाल 
महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट के विद्यार्थियों को स्कूली शिक्षक पढ़ा रहे हैं। भोपाल के सरोजनी नायडू स्कूल में उनकी कक्षाएं लगाई गर्इं। स्कूली शिक्षक आगामी 23 रविवार तक विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। हालांकि जन अभियान परिषद से बीएसडब्ल्यू (बैचलर आफ सोशल वर्क) के  पराशर्मादाता (मेंटर) अभी तक उन्हें पढ़ाने का दायित्व निभा रहे थे। 

महात्मा गांधी विवि चित्रकूट महिला बाल विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग और मप्र जन अभियान परिषद के माध्यम से डीएसडब्ल्यू की डिग्री करा रहा है। जनअभियान के तहत चयनित मेंटर कक्षाएं लेते हैं। यहां तक उनके प्रैक्टिकल के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाता है। जन अभियान ने प्रदेशभर में करीब दो हजार मेंटर है। जनअभियान परिषद को बंद करने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई का जिम्मा उच्च शिक्षा विभाग को दिया गया है। विभाग ने अपने कालेजों में कक्षाएं लगाकर वहां पदस्थ अतिथि विद्वानों को पढ़ाने का दायित्व सौंपा है। भोपाल में उनकी पढ़ाई स्कूली बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों द्वारा कराई जा रही है। 

रविवार को सरोजनी नायडू स्कूल में उनकी कक्षाएं लगाई, जिसमें उनके शिक्षकों को बीएसडब्ल्यू का पाठ्यक्रम की पढ़ाई कराई। इससे उनकी डिग्री पर सवालिया निशान लग रहे हैं। रविवार को प्रथम कक्षा आयोजित की गई है, जो 23 रविवार को जारी रहेगी। वहीं विद्यार्थियों ने स्कूली शिक्षकों से पढ़ने पर एतराज जताया है। विभाग ने प्रदेश के 10 संभागों के  261 केंद्रों की सूची जारी कर दी है, लेकिन इसमें भोपाल शहर के केंद्र का उल्लेख नहीं किया गया है। भोपाल जिले में फंदा और बैरसिया समायोजित है। 

परीक्षा और साक्षात्कार तक दिए 
मेंटर की नियुक्ति के लिए विवि से परीक्षा और जन अभियान ने साक्षात्कार तक किए थे। योग्य होने के बाद भी उन्हें विगत पांच माह से उन्हें मानदेय नहीं दिया गया। इससे उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। कमलनाथ सरकार ने उन्हें नियमित करने के साथ उन्हें सातवें वेतनमान के तहत वेतनमान देने के लिए अपने वचन पत्र में स्थान दिया है। सातवां वेतनमान तो ठीक उन्हें पूर्व का दिए जाने वाला वेतनमान तक आवंटित नहीं किया गया है।  

स्कूल प्रबंधन ने दिया तर्क 
विवि के स्टूडेंट को स्कूली शिक्षक पढ़ा रहे हैं। जब इस संबंध में स्क्ूल प्रबंधन से पूछा गया, तो उन्होंने भी चौकाने वाले तर्क प्रस्तुत किए हैं। उनके तर्क में बताया गया है कि जहां सेंटर होता है। वहां पर कक्षाएं आयोजित होती हैं। विवि के स्टूडेंट को स्कूली टीचर पढ़ाएंगे। इस संबंध में कोई आदेश निर्दश किसी भी शासनकाल में जारी नहीं किए गए हैं। 
 

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