गोशालाओं के संचालन से स्वैच्छिक संगठनों ने बनाई दुरी

भोपाल
मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्राथमिकता में शामिल गोशालाओं के संचालन में प्रदेश की स्व सहायता समूह और स्वैच्छिक संगठनों ने दूरी बना ली है। इसके चलते ग्राम पंचायतों को 859 गोशालाओं के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई हैं जिन्हें जनवरी 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है।

प्रदेश में चार माह के भीतर एक हजार गोशालाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। सरकार के निर्णय के चार माह पूरे होने के बाद अबतक एक भी गोशाला पूरी नहीं हुई है। सरकार ने गोवंश को बचाने के लिये स्व सहायता समूह और स्वैच्छिक संगठनों से आगे आने के लिये कहा था। एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 9 एजीओ और 40 एएचजी ही आगे आये हैं। इनमें बैतूल में एक, बालाघाट में दो, ग्वालियर 16, नरसिंहपुर 15, सागर 3, श्योपुर 1 और टीकमगढ़ जिले में दो स्व सहायता समूह ही आगे आये हैं।

मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद के माध्यम से गोशालायें स्थापित कराई जा रही हैं। प्रत्येक गोशाला में सौ की संख्या में गोवंश रखने का प्रावधान किया गया है। इसके लिये विभिन्न गतिविधियां तय की गई हैं।

गोशाला निर्माण के पहले विद्युत एवं पानी व्यवस्था पर जोर दिया गया है। संबंधित जिलों के कलेक्टरों से कहा गया है कि जिन स्थानों पर विद्युत लाइन नहीं हैं वहां सोलर पंप व बैट्री से पानी की व्यवस्था की जाये। इसके लिये राज्य स्तर पर मंथन भी किया जा रहा है।

अलिराजपुर जिले को जहां सिर्फ एक गोशाला निर्माण का लक्ष्य दिया गया है वहीं आगरमालवा, भिंड, अशोकनगर, टीकमगढ़, शिवपुरी, सागर, रीवा, नरसिंहपुर, मुरेना, मंदसौर, ग्वालियर, गुना, देवास, छिंदवाड़ा में प्रत्येक को 30 गोशाला निर्माण का लक्ष्य दिया गया है।

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