गोवर्ध्दनमठ पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने की पुलवामा हमले की निंदा, रक्षा तंत्र पर उठाए सवाल

महासमुंद 
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के टॉउन हॉल में धर्म सभा का आयोजन सोमवार को किया गया. धर्मसभा में प्रमुख वक्ता पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज थे. सभा को संबोधित करने से पहले शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती मीडिया से रुबरू हुए जहां उन्होने जम्मु-कश्मीर के पुलवामा में हुए आंतकी हमले की निंदा करते हुए शहीद जवानों और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की. वहीं देश की रक्षा तंत्र पर सवाल खड़ा किया.

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि आजादी के बाद से देश की रक्षा प्रणाली आक्रमण होने के बाद चुस्त होती है उससे पहले सुस्त रहती है. जबकि हमला करने वाले हमेशा चुस्त और जागरूक रहते है. ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री को मूल को समझकर सूल समक्षते हुए उसे दूर करने को कहा. उन्होने कहा कि विशेषज्ञों और राष्ट्रहितैषियों से संपर्क कर भारत के बाहर और अंदर फैली आघात को शाम, दान, अर्थ, दंड, इंद्रजाल, उपेक्षा और माया सात नीतियों के अनुसार जो नीति अपनानी है वो अपनाए. नीति निपूर्णता का परिचय यदि भारत देता है तो देश से आतंकवाद को खत्म किया जा सकता है.

शंकराचार्य ने संतों की हो रही उपेक्षा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि संत समागम प्रचलित शब्द है, लेकिन दिशाहिन प्रचार तंत्र, व्यापार तंत्र और शासन तंत्र से ही संत पैदा किए जाते है. आजकल ऐसे संत मिलना बहुत ही कठिन है जो राजनीति में संलिप्त न हो. राजनेता और पार्टी जिसे संत बनाते हैं उन्हें देश में आज संत समझा जाता है. कुंभ पर सवाल खड़े करते हुए शंकराचार्य ने खुद की उपेक्षा का भी आरोप लगाया.

राम मंदिर पर हो रही राजनीति पर नाराजगी जाहिर करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि आरंभ से ही कांग्रेस और भाजपा के अलावा राजनीतिक पार्टियां राम जी के मंदिर को लेकर राजनीति करते आई है. यदि सरकार चाहे तो सोमनाथ मंदिर की तरह रामजी का मंदिर भी बनाया जा सकता है लेकिन कोई इसे बनाना नहीं चाहता. समस्या को मानते हुए उसे दूर करने डटे रहने का संदेश दिया. शंकराचार्य ने सुप्रीमकोर्ट के आधार शीला पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इस आधार शीला पर यदि मंदिर बनता है आगे खतरा है. इसलिए मंदिर के स्थान पर मंदिर ही होना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *