गृह मंत्रालय की सफाई- घाटी में जवानों के लिए नहीं रोकी हवाई सेवा

 
नई दिल्ली   
 
गृह मंत्रालय ने मीडिया में आई उन रिपोर्टों को खारिज किया है जिनमें कहा गया है कि जम्मू-श्रीनगर के बीच सीआरपीएफ को हवाई उड़ानों के लिए इजाजत नहीं दी गई. गृह मंत्रालय ने इन खबरों को सरासर गलत बताया है. गृह मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ साल में केंद्रीय बल के जवानों के लिए एयर कूरियर फैसिलिटी बढ़ाई गई है ताकि छुट्टी पर आने जाने-वाले फौजियों का समय बचाया जा सके.  

गृह मंत्रालय के मुताबिक, जम्मू एवं कश्मीर सेक्टर में सेंट्रल आर्म्ड पैरामिलिटरी फोर्सेस (सीएपीएफए) के लिए एयर कूरियर सर्विस पहले से चालू है. पहले यह सेवा जम्मू-श्रीनगर-जम्मू सेक्टर तक सीमित थी जिसे बाद में दिल्ली-जम्मू-श्रीनगर-जम्मू-दिल्ली रूट तक बढ़ा दिया गया. गृह मंत्रालय के मुताबिक जवानों के लिए इस रूट पर हफ्ते में 7 फ्लाइट उपलब्ध हैं.

साल 2018 में गृह मंत्रालय ने हवाई सेवा को और बढ़ाने का फैसला किया और इसमें नए रूट जोड़े गए. मंत्रालय के बयान में बताया गया है कि दिल्ली-जम्मू-श्रीनगर-जम्मू-दिल्ली रूट पर हफ्ते में 7 फ्लाइट और श्रीनगर-जम्मू-श्रीनगर रूट पर हफ्ते में 4 फ्लाइट की सुविधा उपलब्ध है. इसके साथ ही जरूरत को देखते हुए इंडियन एयरफोर्स की तरफ से भी सुविधाएं दी जाती हैं. पिछले महीने कई उड़ानों ने अपनी सेवाएं दी हैं.

मंत्रालय ने कहा है कि आर्मी और पैरामिलिटरी के लिए रोडवेज से भी रसद पहुंचाने और ऑपरेशनल काम जारी रखने की सुविधा चालू है. पुलवामा हमले के बाद मीडिया के कुछ धड़ों में ऐसी खबरें चलीं कि गृह मंत्रालय ने जवानों को आने-जाने के लिए हवाई सेवा की इजाजत नहीं दी है.   

दूसरी ओर कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले की आवाजाही में नए नियम जोड़ने का फैसला किया गया है. ट्रैफिक नियंत्रण के अलावा काफिले के गुजरने के समय पुलिस और प्रशासन के साथ तालमेल बिठाते हुए सुरक्षा पर खास ध्यान देने पर जोर दिया गया है. अभी हाल में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने घाटी का दौरा किया था और कहा था कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों का काफिल जब गुजरेगा, उस वक्त आम लोगों की आवाजाही रोकी जाएगी ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

सीआरपीएफ की ओर से इसके लिए परीक्षण भी किया जा रहा है. ट्रैफिक के नए नियम बनाने पर काम हो रहा है. इसका भी खास खयाल रखा जा रहा है कि काफिला गुजरते वक्त आम लोगों के लिए ट्रैफिक रोके जाने पर दिक्कत पेश न हो. घाटी में पत्थरबाजी की समस्या को देखते हुए भी सैन्य बलों की आवाजाही के लिए ठोस नीतियां बनाने पर विचार हो रहा है. ऑपरेशन के दौरान सेना सुचारू ढंग से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सके, इस पर खास फोकस किया जा रहा है.

पुलवामा में आतंकी हमले के वक्त तकरीबन ढाई हजार सीआरपीएफ जवानों का काफिला उस रूट से गुजर रहा था. लैंडस्लाइड के कारण जम्मू-श्रीनगर हाइवे 10 दिन तक बंद था और सैन्य बलों की संख्या ज्यादा बढ़ गई थी जिन्हें जम्मू के सीआरपीएफ ट्रांजिट कैंप से श्रीनगर भेजा जा रहा था. घाटी में आतंक विरोधी कार्रवाई में सीआरपीएफ का सबसे बड़ा रोल है जिसके लिए 65 हजार बलों की तैनाती की गई है. कश्मीर में सीआरपीएफ की 61 बटालियन मौजूद है. 

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