गृह निर्माण समितियों की राह अब आसान, दोबारा आवास निर्माण की अनुमति की आवश्यकता नहीं

भोपाल
प्रदेश में गृह निर्माण समितियों की राह अब आसान होंने जा रही है। राज्य सरकार की व्यवस्था, गृह निर्माण सहकारी समितियों को दिए जाने वाले भूखंड पर दोबारा पंजीयन शुल्क और आवास निर्माण की अनुमति की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके लिए राज्य सरकार नियमों में बदलाव करने जा रही है।

गृह निर्माण सहकारी समितियों को वर्तमान में जो आवासीय भूखंड राज्य सरकार द्वारा आबंटित किया जाता है। उसमें पहले समिति को उसका पंजीयन कराना होता है। पहले समिति के नाम भूखंड की रजिस्ट्री होती है। इसके बाद जब गृह निर्माण सहकारी समितियों के सदस्यों को भूखंड या भवन आबंटित किए जाने पर उनके नाम से दोबारा पंजीयन होता है। दोबारा रजिस्ट्री कराना होती है। इससे एक ही जमीन पर दो बार पंजीयन शुल्क सदस्यों को देना होता है। इससे सरकारी खजाने में दो बार शुल्क आता है और सदस्यों को रियायती भूखंड महंगी दरों पर मिल पाता है। इसी तरह आवासीय भूखंड पर निर्माण की अनुमति भी लेना होता है। उस पर भी राशि अलग से खर्च होती है।

अब सरकार नियमों में बदलाव कर ऐसे प्रावधान करने जा रही है कि यदि किसी गृह निर्माण सहकारी समिति को भूखंड दिया जाता है और समिति के नाम से उसकी रजिस्ट्री, पंजीयन होता है तो जब सदस्यों के नाम से उसे ट्रांसफर किया जाएगा तो दोबारा शुल्क नहीं लिया जाएगा।

भवन निर्माण के लिए अनुमतियां भी दो बार नहीं लेना पड़ेगा। समिति चाहे तो पहली बार में ही आवासों के कुछ तय नक्शों के अनुसार निर्माण की अनुमति ले सकेगी। उसके आधार पर बिना दोबारा अनुमति लिए भवन निर्माण हो सकेंगे।

सहकारी गृह निर्माण समितियों के सदस्यों के आवासीय भूखंड के नवीनीकरण तुरंत कराएंगे। निज होल्ड को फ्री होल्ड करेंगे तथा इन पट्टों को  फ्री होल्ड करने के नियम सरल किए जाएंगे। समितियों को जो जमीनें दी जाएंगी वे फ्री होल्ड करके दी जाएंगी। इससे समिति के सदस्यों को बाद में भूखंड फ्री होल्ड कराने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आवासीय भूखंड के नवीनीकरण होंने से भूखंड तुरंत समिति सदस्यों के नाम ट्रांसफर हो सकेंगे। कांग्रेस सरकार वचन पत्र के आधार पर इन नियमों में बदलाव करने जा रही है। इसके लिए सहकारिता विभाग के अधिकारी नियमो तैयार कर रहे है। जल्द ही इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

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