गिर से कूनो होनी है शेरों की शिफ्टिंग, दोनों राज्यों के वनमंत्री आमने-सामने

जबलपुर
कूनो वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी (Kuno Wildlife Sanctuary) शेरों के लिए मुफीद है. यहां शेरों की शिफ्टिंग की जा सकती है. यह कहना है कि सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) द्वारा गठित ट्रांसलोकेशन कमेटी के सदस्य रणजीत सिंह का. उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर गठित ट्रांसलोकेशन कमेटी ने 2016 में आखिरी बैठक की थी. उस समय ही सबकुछ साफ कर दिया गया था. बावजूद इसके कूनो सेंक्चुरी में शेरों की बसाहट नहीं की गई. मध्य प्रदेश के वन मंत्री का आरोप है कि गुजरात सरकार शेरों (Asiatic lion) की शिफ्टिंग में बाधा उत्पन्न कर रही है. लेकिन गुजरात (Gujrat) के मंत्री का कहना है कि लगाए गए आरोप गलत हैं.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के वन मंत्री उमंग सिंगार (Umang Singar) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 वर्ष पहले ही गुजरात सरकार को शेर देने के आदेश दिए हैं. लेकिन गुजरात सरकार कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रही है. उन्होंने कहा कि बीमारी के चलते गुजरात में शेर मरते जा रहे हैं. इसके जवाब में गुजरात के वन मंत्री गनपतभाई वसावा (Ganpatbhai Vasawa) ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गिर (Gir National Park) के शेरों को कूनो सेंक्चुरी में कैसे शिफ्ट करना है इसके लिए तीन कमेटियां बनाई गई हैं. ये कमेटियां – ट्रांसलोकेशन कमेटी, एक्सपर्ट कमेटी और एपेक्श कमेटी हैं. लेकिन इन कमेटियों की बैठक नहीं होने के चलते कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार ट्रांसलोकेशन कमेटी की आखिरी बैठक वर्ष 2016 में हुई थी. आरटीआई (RTI) कार्यकर्ता अजय दुबे ने शेरों को लाने में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की है.

उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने कूनो सेंक्चुरी को लेकर जो कमियां बताईं थी उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने पूरे कर लिए हैं. गुजरात सरकार के कहे अनुसार मध्य प्रदेश सरकार ने 28 गांवों को खाली करा कर शेरों के लिए कूनो सेंक्चुरी का क्षेत्र फैला दिया. 2018 में कूनो को नेशनल पार्क बना दिया गया. गुजरात सरकार ने कहा था कि कूनो सेंक्चुरी में बाघ भी हैं. इसलिए यहां के वन अफसरों को शेर और बाघ के एक साथ रहने की स्थिति में उचित तैयारी करनी चाहिए. इस बारे में एक्सपर्ट कमेटी ने कहा कि शेरों को शिफ्ट करते समय इस बिंदु को ध्यान में रखा जाएगा.

श्योपुर के कूनो सेंक्चुरी में गुजरात के गिर सेंक्चुरी से शेरों को लाने को लेकर पिछले छह साल से कोशिश की जा रही है. मध्य प्रदेश सरकार का मानना है कि गुजरात सरकार शेरों को देना नहीं चाहती जबकि गुजरात सरकार का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार चल रही है.

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