गाय और आपके घर की लक्ष्मी का क्या है आपस में Connection

सनातन धर्म के अनुसार जितने भी देवी-देवता हैं, सभी का वास गाय में माना जाता है। गाय की रीढ़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है, जो सूर्य के गुणों को धारण करती है इसलिए इसके मूत्र, गोबर, दूध, दही, घी में औषधीय गुण पाए जाते हैं।

सनातन धर्म के अनुसार जितने भी देवी-देवता हैं, सभी का वास गाय में माना जाता है। गाय की रीढ़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है, जो सूर्य के गुणों को धारण करती है इसलिए इसके मूत्र, गोबर, दूध, दही, घी में औषधीय गुण पाए जाते हैं। घर में सुख और समृद्धि का समावेश करवाने के लिए पुरातन काल से ही बहुत सारी परंपराएं प्रचलित हैं। आज जिन घरों में उन परंपराओं का पालन किया जाता है वहां सभी दैविय शक्तियां निवास करती हैं और बुरी बलाओं को उस घर के आस-पास भी आने नहीं देती।

प्राचीनकाल में अधिकतर घरों में गाय का पालन-पोषण किया जाता था और प्रतिदिन घर में गौमूत्र का छिड़काव किया जाता था। आज लगभग गौमूत्र से 42 प्रकार की औषधियां एवं 26 प्रकार की फसल रक्षक कीट नियंत्रण दवाइयों का निर्माण किया जा रहा है। घर में गौमूत्र छिड़कने से क्या लाभ प्राप्त होता है आईए जानें-

वास्तु दोष आपको काफी कष्ट दे सकता है लेकिन वास्तु दोष निवारण के महंगे उपायों को अपनाने से बेहतर है, आप घर में गौमूत्र का छिड़काव करें। जिससे आपके बहुत सारे वास्तु दोषों का हल एक साथ हो जाएगा।

गौमूत्र की गंध से हानिकारक सूक्ष्म कीटाणुओं का नाश होता है। जिससे पारिवारिक सदस्य स्वस्थ रहते हैं। जिस घर में नियमित रूप से गौमूत्र का छिड़काव होता है, वहां महालक्ष्मी अपना स्थायी बसेरा बना कर रहती हैं और उस घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती।

प्रतिदिन गौमूत्र पीने से रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। गौमूत्र में गंगा मईया वास करती हैं। अत: गंगा को सभी पापों का हरण करने वाली माना गया है, अतएव गौमूत्र पीने से पापों का नाश होता है।

भूत-प्रेत बाधा से युक्त व्यक्ति पर गौमूत्र का छिड़काव करें। भूतों के अधिपति भगवान शंकर हैं। उनके शीश पर गंगा है। गौमूत्र में गंगा है इसलिए गौमूत्र का सेवन करने से भूतगण अपने अधिपति के मस्तक पर गंगा के दर्शन कर, शान्त हो जाते हैं और उस शरीर को नहीं सताते जिस पर उन्होंने अपना अधिपत्य स्थापित कर रखा होता है। 

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