खाड़ी जाने वालों की संख्या 5 साल में 62% घटी

मुंबई
रोजगार के लिए खाड़ी देशों का रुख करने वाले भारतीयों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। 2017 की तुलना में 30 नवंबर 2018 तक के 11 महीनों में खाड़ी जाने के लिए इमीग्रेशन क्लियरेंस में 21 फीसदी की कमी आई है और यह आंकड़ा 2.95 लाख रहा। पिछले 5 साल में सर्वाधिक 7.76 लाख लोग 2014 में खाड़ी देशों में गए और इसकी तुलना 2018 के आंकड़ों से करें तो 62 फीसदी की गिरावट आई है। 

ये आंकड़े 'ई-माइग्रेट इमीग्रेशन क्लियरेंस डेटा' से लिए गए हैं, जो ECR पासपोर्ट रखने वाले कामगारों को मिलने वाले इमीग्रेशन क्लियरेंस को दर्ज करता है। 

2018 में सर्वाधिक गिरावट 1.03 लाख यानी 35% कामगार UAE गए। इसके बाद 65 हजार लोग सऊदी अरब जबकि 52 हजार लोग कुवैत गए। 2017 में ही सऊदी अरब से भारतीय कामगारों के लिए सर्वाधिक प्रिय गंतव्य का तमगा छिन चुका था। सऊदी अरब की संशोधित निताकत (सऊदीकरण) योजना ने भारतीय सहित विदेशी कामगारों की राह में मुश्किलें पैदा कीं। नई योजना के तहत सऊदी अरब की कुछ कंपनियां ही विदेशी एंप्लॉयीज को अपने यहां नौकरी पर रखने के लिए नए ब्लॉक वीजा का आवेदन कर सकती हैं। 

कतर जाने वालों की संख्या बढ़ी 
2014 में करीब 3.30 लाख कामगार सऊदी अरब गए थे, लेकिन 5 साल में इनकी संख्या में 80 फीसदी की कमी आई है। खाड़ी क्षेत्र में कतर ही एकमात्र देश है जहां पिछले सालों की तुलना में अधिक भारतीय रोजगार के लिए गए हैं। 2017 के 25 हजार कामगारों की तुलना में 2018 में 31% वृद्धि के साथ 32,500 लोगों को क्लियरेंस मिला। 

इस तरह आ रही है कमी

'फुटबॉल वर्ल्ड कप की वजह से बढ़ी मांग' 
मुंबई के एक लेबर रिक्रूटर ने कहा, 'संभव है कि ऐसा इस वजह से हुआ हो क्योंकि यह देश 2022 में फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी की तैयारी में जुटा है और इसलिए श्रमिकों की मांग बढ़ी है।' हालांकि, बेईमान नियोक्ताओं द्वारा भारतीयों को पेमेंट नहीं देने की खबरें भी आई हैं। 

सरकार ने क्या कहा?
पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्रालय द्वारा लोक सभा में दाखिल जवाब में कहा गया कि खाड़ी जाने वालों की संख्या में गिरावट की कई वजहें हैं। इसमें कहा गया, 'तेल की कीमतों में कमी की वजह से खाड़ी देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और पब्लिक एवं प्राइवेट सेक्टर में अधिकतर स्थानों पर अपने नागरिकों को नौकरी दे रहे हैं।' 

हालांकि, ECR पासपोर्ट रखने वाले बहुत से भारतीय कथित तौर पर टूरिस्ट वीजा के सहारे खाड़ी देशों में जाकर बाद में वर्क वीजा हासिल कर ले रहे हैं। नॉन ECR पासपोर्ट होल्डर्स भी ई-माइग्रेट इमीग्रेशन क्लियरेंस डेटा में शामिल नहीं हैं। 

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