क्या सच में नवविवाहित जोड़े को नहीं करने चाहिए भगवान शंकर के दर्शन

कहते हैं वास्तु शास्त्र का मानव जीवन में बहुत महत्व है। इसके अनुसार आस-पास पड़ी हर चीज़ का हमारे ऊपर अच्छा-बुरा दोनों तरह का प्रभा पड़ता है। ये सब बातों से तो लगभग हर कोई अवगत हैं मगर क्या आपको पता है इसमें शिव जी से जुड़ा एक ऐसा तथ्य दिया गया है जिसके बारे में कोई नहीं जानता। तो चलिए रूबरू होते हैं इस तथ्य से जुड़ी बातों से जिसके अनुसार नवविवाहित जोड़ों को शिव जी के दर्शन नहीं करने चाहिए।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जिस पर भोलेनाथ की कृपा हो जाती है उस व्यक्ति के जीवन से हमेश-हमेशा के लिए सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मगर वहीं अगर वास्तु शास्त्र की मानें तो किसी भी न्यूली मैरिड कपल को भगवान शिव के दर्शन नहीं करने चाहिए। इसके मुताबिक ऐसा करना अशुभ होता है। लेकिन ऐसा क्यों इसके पीछे का असल कारण क्या है। आख़िर क्यों सब पर कृपा करने वाले भोलेनाथ नवविवाहित जोड़ों को शुभ फल प्रदान नहीं करते।

वास्तु शास्त्र के मुताबिक अगर नवविवाहित जोड़ा भगवान शिव के दर्शन करता हैं तो शिशु वैरागी हो सकता है। इसके पीछे का कारण कुछ स प्रकार बताया जाता है कि भोलेनाथ ने माता पार्वती से शादी ज़रूर की थी मगर वो वैरागी थी। वास्तु विशेषज्ञों का कहना है अगर शादी के बाद लड़की गर्भ धारण कर लेती है तो उसे भगवान शिव जी के दर्शन नहीं करने चाहिए। माना जाता है इससे बच्चा के वैरागी होने की संभावनाएं होती हैं।

इसके अलावा कहा जाता है किसी भी नवविवाहित जोड़ों को कभी भी किसी धार्मिक स्थल पर हनीमून के लिए नहीं जाना चाहिए। शास्त्रों में इसे शुभ नहीं माना जाता। लेकिन अगर किसी धार्मिक जगह पर जाने का प्लान बन भी जाए तो इस बात का ध्यान रखें कि स्थान शिव जी से जुड़ा हुआ न हो।

वास्तु शास्त्र में यह भी कहा गया है कि नव विवाहित जोड़े का घर के दक्षिण-पश्चिम वाले कमरे में सोना शुभ होता है। वहीं अगर नव विवाहित जोड़ों का कमरा दक्षिण-पूर्व में है तो ये अशुभ होता है।

नवविवाहित जोड़ों का और इन्हें हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर सर करके सोना चाहिए।

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